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असम की बेटी उमा छेत्री जिन्होंने भारत की महिला क्रिकेट टीम को वर्ल्ड कप जिताने में अहम भूमिका निभाई, कल रात अपने घर लौटीं। लेकिन उनके स्वागत ने सबको हैरान कर दिया। गुवाहाटी के बोरझार एयरपोर्ट पर राज्य सरकार की कोई मौजूदगी नहीं थी। सिर्फ असम क्रिकेट एसोसिएशन (ACA) के दो अधिकारी और कुछ सुरक्षा कर्मचारी मौजूद थे। प्रधानमंत्री ने उन्हें असम की बेटी कहा, पूरे देश में उनकी तारीफ हुई, लेकिन अपनी ही राज्य सरकार ने उसे नजरअंदाज कर दिया। क्या यह उचित है? क्या यह नहीं दिखाता कि असम सरकार अपने ही खेल सितारों की कितनी उपेक्षा करती है?

सोचने की बात है कि उमा, जो कंदुलिमारी गाँव की साधारण खेती वाले परिवार की बेटी हैं, जिन्होंने बचपन में गाँव के लड़कों के साथ खेलते हुए अपने क्रिकेट का सफर शुरू किया, और अब विश्व कप विजेता खिलाड़ी बन गईं — उन्हें कोई भव्य स्वागत नहीं मिला। कोई सुरक्षा इंतज़ाम नहीं, कोई सम्मान नहीं। वे 10 बजे रात को एयरपोर्ट पहुँचीं और सीधे गोलाघाट चली गईं।

अब तुलना करें रिचा घोष के स्वागत से। वही रिचा, जो सिलिगुरी की बेटी हैं और वर्ल्ड कप टीम का हिस्सा भी थीं, को भव्य विजय जुलूस और हजारों लोगों की भीड़ के बीच स्वागत मिला। इतने बड़े और शानदार स्वागत के बाद लोगों ने रिचा की उपलब्धि का जश्न मनाया।

तो सवाल उठता है — क्या असम की सरकार अपने ही खेल सितारों के प्रति इतनी उदासीन और लापरवाह है? क्या असम की बेटी और पहला पूर्वोत्तर की महिला वर्ल्ड कप विजेता खिलाड़ी इस उपेक्षा के हकदार नहीं है? यह एक दुखद दिन है असम के खेलों के लिए, जब अपने ही राज्य ने गर्व और प्रेरणा का प्रतीक बन चुकी बेटी को नजरअंदाज कर दिया।

उमा चेत्री ने संघर्ष और मेहनत से असम और भारत का नाम रोशन किया है, लेकिन क्या उनकी उपलब्धि को सरकार की उदासीनता की कीमत चुकानी पड़ेगी? यह हर असमवासी और खेल प्रेमी के लिए सवाल है।

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