कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद सरकार बनाने की तरफ कदम बढ़ाया है। लेकिन इस जीत के बाद भी पार्टी की परेशानी कम नहीं हुई है। इसकी दो बड़ी वजहें हैं—पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी और नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) का रुख। उमर अब्दुल्ला की पार्टी ने सरकार बनाने की प्रक्रिया में कांग्रेस को किनारे कर दिया है, जिससे पार्टी के अंदर भी तनाव बढ़ गया है।
NC ने 42 सीटें जीतकर सरकार बनाने का दावा किया है। कांग्रेस को उम्मीद थी कि गठबंधन की सरकार में उसे पूरा सम्मान मिलेगा, लेकिन उमर अब्दुल्ला ने अकेले ही राजभवन जाकर मुख्यमंत्री बनने का दावा पेश कर दिया। आमतौर पर गठबंधन में सभी सहयोगी दलों को साथ लेकर ये कदम उठाया जाता है, लेकिन इस बार कांग्रेस को इससे दूर रखा गया।
खबरों के मुताबिक, उमर अब्दुल्ला ने 4 निर्दलीय, 1 आम आदमी पार्टी और 1 सीपीएम विधायक का समर्थन जुटा लिया है। इससे वह बहुमत के 48 सीटों का आंकड़ा हासिल कर चुके हैं। अभी तक कांग्रेस को सरकार में शामिल होने का न कोई न्योता मिला है और न ही कोई चर्चा शुरू हुई है।
कांग्रेस सरकार में शामिल होने के लिए कम से कम 2 मंत्री पद मांग रही है, लेकिन NC सिर्फ 1 पद देना चाहती है। कश्मीर में कानून के मुताबिक कैबिनेट में 9 से ज्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते, जिसकी वजह से हिस्सेदारी पर खींचतान बढ़ गई है। कांग्रेस की परेशानियां यहीं खत्म नहीं होतीं। पार्टी ने जम्मू रीजन की 37 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन सिर्फ 1 सीट जीत पाई। जम्मू की कुल 43 सीटों में ये प्रदर्शन कांग्रेस के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। इस हार की वजह से पार्टी को घाटी में भी अपनी साख बचाना मुश्किल हो रहा है। हालांकि, कांग्रेस के 6 विधायक घाटी से जीतकर आए हैं, लेकिन इससे भी पार्टी की स्थिति मजबूत नहीं हो पाई है। कांग्रेस की आंतरिक कलह भी पार्टी के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। अब तक न तो विधायक दल का नेता चुना गया है और न ही यह तय हुआ है कि सरकार का हिस्सा बनना है या नहीं। पार्टी के अंदर अलग-अलग नेताओं के बीच इस पर असहमति बनी हुई है। कुछ नेता सरकार में शामिल होने के पक्ष में हैं, जबकि कुछ का मानना है कि NC के इस रवैये के बाद दूरी बनाना ही बेहतर है। अब यह जिम्मेदारी कांग्रेस हाईकमान पर है कि वह जल्द से जल्द फैसला करे।
हरियाणा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने जम्मू-कश्मीर की जीत को राहत के तौर पर देखा था, लेकिन अब सरकार बनाने की पेचीदगियों ने उसकी टेंशन बढ़ा दी है।
उमर अब्दुल्ला और NC की बेरुखी के बीच कांग्रेस के सामने चुनौती है—क्या वह इस गठबंधन में अपने सम्मान को बचाए रख पाएगी या फिर सरकार से दूर रहकर अपनी साख को मजबूत करेगी?