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लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश की बागडोर संभाल ली है। बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अब नई योजनाओं को लागू करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में एक बड़ा मुद्दा ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को लेकर सामने आ रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार संभाली देश की बागडोर

मंगलवार, 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे हो रहे हैं, और इससे पहले ही यह खबर आ रही है कि एनडीए सरकार इस कार्यकाल में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर बिल ला सकती है। बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणापत्र में भी इस वादे को प्रमुखता से रखा था।

स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी का बयान

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा था कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ वक्त की जरूरत है और सभी राजनीतिक पार्टियों को इसके समर्थन में आना चाहिए। मोदी ने कहा कि चुनाव सिर्फ तीन या चार महीने के लिए होने चाहिए, बाकी समय में राजनीति से हटकर काम होना चाहिए। प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इस व्यवस्था से लॉजिस्टिक्स खर्च में भारी कटौती होगी। सरकार ने इस दिशा में एक आयोग का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट भी आ चुकी है। रिपोर्ट के एनालिसिस के बाद एक्शन पॉइंट तैयार किए जा रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि ये कमिटमेंट सिर्फ राजनीतिक नहीं है, बल्कि देश के भविष्य के लिए अहम है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हाई लेवल कमेटी की सिफारिशें

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित हाई लेवल कमेटी ने भी चुनाव सुधारों के लिए लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव दिया है। इसके अलावा कमेटी ने स्थानीय निकाय चुनाव भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के 100 दिनों के अंदर कराने की बात कही है, जिससे ‘यूनिफाइड इलेक्शन साइकिल’ को मज़बूत किया जा सके।

चुनाव की टाइमलाइन और वर्तमान स्थिति

हालांकि, कमेटी की रिपोर्ट में चुनाव कराने के लिए कोई स्पष्ट टाइमलाइन नहीं दी गई है। फिलहाल, लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग होते हैं, जो सामान्यतः हर पांच साल में आयोजित किए जाते हैं। कभी-कभी सरकार भंग होने पर पांच साल से पहले भी चुनाव कराए जाते हैं।

‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ की परिभाषा

वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मतलब है कि देश में सभी चुनाव एक साथ कराए जाएं, चाहे वह लोकसभा हो या विधानसभा। यह चुनाव एक ही दिन या निश्चित समयावधि में पूरे किए जाएं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए भी इस व्यवस्था की वकालत की थी। इस प्रस्ताव के तहत लोकसभा और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे।

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