बीते दिनों शिवसागर के बीजी रोड स्थित साई विकाश अकादेमी से दिलदहला देने वाली घटना सामने आई । इसमे 11 वी कक्षा के एक छात्र ने अपने ही स्कूल के प्रिंसिपल को चाकू घोंप दिया। वार इतना घातक था की प्रिंसिपल की मौके पर ही मौत हो गई। इस घटना से पूरे शहर मे ग़म का माहौल है। आप को बता दे की प्रिंसिपल राजेश बाबू दक्षिण भारत के रहने वाले थे।
आखिर बच्चे ने ऐसा क्यों किया?
प्राप्त जानकारी के अनुसार बच्चा पढ़ाई मे बोहोत कमजौर था और उसने दस्वी की परीक्षा भी जैसे तैसे पास किया। शहर के दिल्ली पब्लिक स्कूल से मेट्रिक पास कर बच्चे ने साई विकासह अकादेमी के विज्ञान विभाग मे दाखिला लिया। मगर वह क्लास मे अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा था, जिसको लेकर उसके टीचर ने उसे थोड़ा डट दिया । तब बच्चे ने जवाब दिया की आप ko पढ़ाने के पैसे मिलते है, वही करो। तो टीचर ने भी प्रिंसिपल से शिकायत कर दिया। इसपर प्रिंसिपल ने बच्चे को अपने अभीभावकों के साथ आने को कहा। जिसपर तिलमिलाए बच्चे ने एक चाकू से प्रिंसिपल पर ताबड़तोड़ हमला बोल दिया जिससे उनकी मौत हो गई।
समाज के दबाव मे आकार बच्चे उठाते ऐसा कदम
एक स्टडी के मुताबिक परिवार और समाज द्वारा दिए गए दबाव के चलते बच्चे ऐसा कदम उठाते है। अक्सर माता-पिता अपने बच्चों से बेस्ट की उम्मीद करते है, मगर इस बेस्ट परफॉरमेंस की उम्मीद मे वे बच्चे पर कितना ज्यादा प्रेशर डालते है इसका अंदाजा भी उन्हे नहीं है। आप को मालूम हो की 8 सप्टेंबर 2017 को गुरुग्राम के रयान इंटरनेशनल स्कूल के 7 वर्षीय प्रद्युम्न ठाकुर को भी उसी के स्कूल के एक 16 वर्षीय बच्चे ने सिर्फ इस लिए मार दिया ताकि पेपर तल जाए। वो बच्चा भी पढ़ाई मे काफी कमजोर था। प्रद्युम्न के माता-पिता को अब भी इंसाफ नहीं मिल है। इसका कारण यह है की हत्या करने वाला बच्चा 16 साल का था, जो की एक नाबालिग की श्रेणी मे आता है। इसीलिए हमारी आपसे गुजारिश है की आपलोग जितना हो सके कम अंक आने पर अपने बच्चों का हौसला बढ़ाए, और कभी उनकी तुलना दूसरे से न करे। आप उनको अहसास दिलाए की वो जैसे है बेस्ट है।