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दिल्ली में तीन बार सत्ता संभालने वाली आम आदमी पार्टी (AAP) को इस बार बड़ा झटका लगा। 2013 से लगातार मजबूत हो रहे अरविंद केजरीवाल ब्रांड को जनता ने इस बार नकार दिया।

भ्रष्टाचार और जेल का असर

शराब घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और खुद केजरीवाल के जेल जाने से AAP की छवि को नुकसान हुआ। बीजेपी ने इसे बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया और ‘कट्टर ईमानदार’ छवि को ‘कट्टर बेईमान’ में बदलने में कामयाब रही।

शराब नीति और महिला गुस्सा

दिल्ली में शराब की दुकानों की बढ़ती संख्या ने खासकर महिलाओं में आक्रोश पैदा किया। बीजेपी ने इसे भुनाया और AAP पर युवाओं को नशे की आदत लगाने का आरोप लगाया।

यमुना सफाई और ‘शीशमहल’ विवाद

केजरीवाल सरकार यमुना को साफ करने में नाकाम रही, जिससे जनता का भरोसा डगमगा गया। वहीं, ‘शीशमहल’ पर करोड़ों खर्च का मुद्दा भी बीजेपी ने जोर-शोर से उठाया, जिससे ‘आम आदमी’ वाली छवि कमजोर हुई।

MCD और स्थानीय मुद्दे

एमसीडी चुनाव जीतने के बावजूद दिल्ली की सड़कों, सीवर और पानी की समस्याएं जस की तस रहीं। जनता के लिए ये बड़े मुद्दे थे, जिन पर AAP उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी।

स्वाति मालीवाल विवाद और पार्टी में बगावत

स्वाति मालीवाल पर कथित हमले का मामला और पार्टी के पुराने नेताओं का बगावत करना भी AAP के लिए नुकसानदायक रहा। कई विधायकों ने बीजेपी का दामन थाम लिया, जिससे अंदरूनी कलह और बढ़ गई।

नतीजे: केजरीवाल भी हारे

दिल्ली की 70 सीटों में बीजेपी ने 48 पर जीत दर्ज की, जबकि AAP 22 पर सिमट गई। अरविंद केजरीवाल अपनी नई दिल्ली सीट भी नहीं बचा पाए। अब सवाल यह है कि दिल्ली का अगला सीएम कौन होगा, क्योंकि बीजेपी बिना चेहरे के चुनाव लड़ी थी।
दिल्ली चुनाव के ये नतीजे साफ कर रहे हैं कि जनता ने इस बार AAP को सख्त संदेश दिया है—काम के बजाय विवादों में उलझने की कीमत चुकानी पड़ी!

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