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असम और पूरे पूर्वोत्तर में गायक जुबीन गर्ग की मौत ने सनसनी मचा दी है। उनकी रहस्यमय मृत्यु की जांच में अब कई बड़ी और चौकाने वाली जानकारियाँ सामने आई हैं, जिनमें उनके मैनेजर सिद्धार्थ शर्मा और सहयोगी श्यामकानु महंता का नाम भी शामिल है।

सीआईडी की जांच के दौरान मुख्य गवाह शेखर ज्योति गोस्वामी ने बताया कि जब जुबीन पानी में संघर्ष कर रहे थे, तब शर्मा ने कहा, “Jabo de, jabo de” यानी “जाने दो, जाने दो”, और उनकी हालत को मामूली गैस्ट्रिक समस्या बताकर नज़रअंदाज़ किया। गोस्वामी ने आरोप लगाया कि शर्मा और महंता ने जुबीन को जानबूझकर जहर दिया, और उस घटना के महत्वपूर्ण यॉट फुटेज को सार्वजनिक होने से रोका गया।

गोस्वामी ने बताया कि जब जुबीन के मुंह और नाक से सफेद झाग निकलने लगी, तब शर्मा ने उन्हें लाइफ जैकेट के बिना तैरने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि शर्मा ने होटल में जुबीन को अत्यधिक शराब दी, ताकि जहर देने की घटना छुपाई जा सके। इसके अलावा गोस्वामी ने आरोप लगाया कि शर्मा ने यॉट का नियंत्रण सैलर से जबरन ले लिया, जिससे यॉट समुद्र में खतरनाक रूप से हिलने लगी।

सिद्धार्थ शर्मा, जो सिंगापुर के Pan Pacific Hotel के रूम नंबर 3010 में ठहरे थे, अब इस मामले के मुख्य संदिग्ध बन गए हैं। उन पर साजिश, हत्या और हत्या के लिए लापरवाही जैसे गंभीर और गैर-जमानती आरोप लगे हैं।

इसी बीच, श्यामकानु महंता से जुड़ी नई जानकारी सामने आई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 2001 में NEDFi के 14 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट में महंता पर घोटाले का आरोप था। वह उस समय प्रोजेक्ट मैनेजर थे और DSS E-Connect कंपनी के साथ कथित तौर पर फंड का गबन किया। इस खुलासे ने महंता के विवादित इतिहास को फिर से चर्चा में ला दिया है।

वहीं, जुबीन का दूसरा पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट भी उनके घर पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग को 4 अक्टूबर को सौंपा गया। SIT अधिकारी मोरॉमी दास ने यह दस्तावेज उनके घर काहिलीपारा में पहुंचाए। इसके पहले 2 अक्टूबर को सिंगापुर पोस्टमॉर्टेम रिपोर्ट भी गरिमा को दी गई थी। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा था कि इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का निर्णय पूरी तरह गरिमा पर निर्भर करेगा।

इसके साथ ही असम के राज्यपाल ने जुबीन गर्ग मौत की जांच के लिए वन-मेंबर कमीशन का गठन किया है। इस कमीशन की अध्यक्षता न्यायमूर्ति साउमित्र सैकिया करेंगे। अधिसूचना के अनुसार, कमीशन मौत से पहले और बाद की घटनाओं, किसी भी लापरवाही, बाहरी हस्तक्षेप या साजिश की जांच करेगा और छह महीने के अंदर रिपोर्ट सौंपेगा।

जुबीन गर्ग की अचानक और रहस्यमय मौत ने पूरे असम में तहलका मचा दिया है। फैंस और जनता के बीच सवाल गूंज रहे हैं – क्या यह सिर्फ दुर्घटना थी, या इसके पीछे कोई साजिश और बाहरी हस्तक्षेप शामिल था? अब सबकी निगाहें SIT और वन-मेंबर कमीशन पर टिकी हैं, जो जुबीन की मौत के पीछे की सच्चाई और रहस्य सामने लाने के लिए काम कर रहे हैं।

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