असम और पूरे पूर्वोत्तर का संगीत जगत आज अपने सबसे प्रिय कलाकार जुबीन गर्ग को याद कर रहा है। उनका संगीत, उनकी आवाज़ और उनका व्यक्तित्व लाखों लोगों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेगा। जुबीन गर्ग सिर्फ़ एक गायक नहीं थे, बल्कि असम की सांस्कृतिक पहचान और भावनाओं की आवाज़ थे।

उनका करियर कई दशकों तक फैला और हर गीत ने लोगों के जीवन को छुआ। प्यार, हँसी, उम्मीद, और कभी-कभी विरोध—जुबीन गर्ग के गीतों में सब कुछ था। उनका प्रसिद्ध गीत “मायाबिनी” आज भी लोगों के दिलों में गूंजता है, और उनका सपना था कि असम के लोग यह गीत उनके जाने के बाद भी गाएँ। उनका यह सपना सच हुआ, जब उनके अंतिम संस्कार में पूरा असम उनके गीत के साथ जुड़ गया।
जुबीन गर्ग ने न केवल असम के संगीत को नई ऊँचाई दी, बल्कि उन्होंने लोक संस्कृति और आधुनिक संगीत को एक साथ मिलाकर नया आयाम भी दिया। उनके गीतों ने भाषा, उम्र और संस्कृति की दीवारें तोड़ दी। हर व्यक्ति उनके गीतों में अपनी कहानी पाता था।
उनकी अंतिम यात्रा ने भी यही दिखाया कि जुबीन गर्ग का प्रभाव कितना बड़ा था। लाखों लोग उनकी अंतिम विदाई में शामिल हुए। उनके परिवार, प्रशंसक और राज्य के नेता उनके साथ खड़े रहे, और उन्होंने अपने गीतों और यादों से जुबीन को सम्मानित किया।
जुबीन गर्ग अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी आवाज़ और उनका संगीत अमर रहेगा। उनका योगदान सिर्फ़ संगीत तक सीमित नहीं था—उन्होंने असम के लोगों के दिलों में जगह बनाई, और वह जगह हमेशा जिंदा रहेगी। जुबीन गर्ग का नाम हमेशा संगीत और असम की संस्कृति में सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा।