एक कप चाय और दिन बन जाए… लेकिन क्या होगा अगर आपकी यही चाय आने वाले सालों में लापता हो जाए?
जी हां, जलवायु परिवर्तन की मार अब चाय के बागानों पर पड़ रही है, और अगर वक्त रहते कुछ नहीं किया गया, तो 2050 तक चाय की खेती ही मुश्किल हो जाएगी!
वैज्ञानिकों की मानें तो बढ़ती गर्मी और बदलता मौसम चाय के पत्तों पर भारी पड़ रहा है! असम के जोरहाट में टोकलाई टी रिसर्च इंस्टीट्यूट (TRI) इस संकट से निपटने के लिए दिन-रात मेहनत कर रहा है। नई चाय प्रजातियों पर रिसर्च चल रहा है, ताकि आने वाले सालों में चाय की चुस्की पर कोई असर न पड़े।
बढ़ते तापमान से जल रहा है चाय उद्योग
अब ज़रा हालात पर नज़र डालिए! 1980 के बाद से बारिश में 250 मिमी की कमी आई है और तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। साल 2024 में 50 दिनों तक पारा 35 डिग्री से ऊपर रहा! और अगर तापमान 7 से 10 दिन तक इसी तरह ऊंचा रहा, तो समझ लीजिए चाय के पत्ते झुलस जाएंगे।
लेकिन घबराइए मत! चाय की खेती को बचाने के लिए नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं। वैज्ञानिक ऐसे क्लोन बना रहे हैं, जो गर्मी को झेल सकें और बढ़ते CO₂ के साथ तालमेल बिठा सकें! इसके अलावा, छायादार पेड़, सिंचाई तकनीक, जैविक खाद और जल प्रबंधन जैसे उपायों पर भी ज़ोर दिया जा रहा है।
अब तो ड्रोन और AI टेक्नोलॉजी भी बागानों में उतर रही है! ड्रोन की मदद से फसलों पर स्प्रे किया जाएगा, ताकि चाय की पत्तियां खराब न हों! हालांकि, कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन चाय के दीवानों की पसंद को बचाने के लिए वैज्ञानिक कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
अगर सही समय पर सही कदम उठाए गए, तो हमारी चाय की प्याली हमेशा गर्म और ताज़ा बनी रहेगी! TRI का ये रिसर्च आने वाले वक्त में चाय उद्योग को जलवायु संकट से बचाने के लिए बड़ा हथियार साबित हो सकता है! बस, अब देखना ये है कि हम अपनी चाय की चुस्की बचाने में कितने सफल हो पाते हैं।