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आरक्षण के मुद्दे पर सियासी तापमान चरम पर है! कांग्रेस नेता राहुल गांधी के बयान पर उठे विवाद को थमता नहीं देख, बसपा प्रमुख मायावती एक बार फिर हमलावर हुई हैं। आज सुबह यानी 11 सितंबर को मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर राहुल गांधी पर बड़ा हमला बोलते हुए उन्हें गुमराह करने का आरोप लगाया।

मायावती ने कहा कि राहुल गांधी अब कह रहे हैं कि वे आरक्षण के विरोधी नहीं हैं, लेकिन यह जनता को गुमराह करने वाला बयान है। उन्होंने सीधे आरोप लगाया कि जब केंद्र में कांग्रेस की 10 साल सरकार थी, तब उन्होंने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर SC/ST के प्रमोशन में आरक्षण विधेयक को पारित नहीं होने दिया। इससे यह साफ होता है कि कांग्रेस शुरू से ही आरक्षण विरोधी रही है।

दूसरी ओर, राहुल गांधी ने अपने आरक्षण वाले बयान पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से लिया गया है। वे आरक्षण के समर्थन में हैं और चाहते हैं कि आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत से अधिक बढ़ाई जाए। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि उनकी राजनीति सबकी भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए है।

राहुल गांधी ने वर्जीनिया विश्वविद्यालय में एक छात्र के सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि जब सही समय आएगा, तब आरक्षण खत्म किया जाएगा, लेकिन अभी वह समय नहीं आया है। इसी बयान को लेकर बसपा प्रमुख मायावती ने उन पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस SC, ST, OBC आरक्षण को खत्म करना चाहती है।

मायावती ने राहुल गांधी के बयान को छलावा बताते हुए कहा कि कांग्रेस की नीयत साफ होती तो पूर्ववर्ती सरकारों में आरक्षण को सही से लागू किया गया होता। उन्होंने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस सत्ता में नहीं होती, तो SC, ST, OBC वर्गों के हित की बातें करती है, लेकिन सत्ता में रहते हुए उनके हितों के खिलाफ काम करती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कांग्रेस की आरक्षण-विरोधी सोच के कारण ही कानून मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

राहुल गांधी और मायावती के बीच आरक्षण पर यह सियासी तकरार अभी थमती नजर नहीं आ रही है। सवाल ये है कि आरक्षण के इस मुद्दे पर अब कौन से नए मोड़ आएंगे और जनता किसका साथ देगी?

आरक्षण का मुद्दा सिर्फ वोट बैंक की राजनीति बनकर रह जाएगा या वाकई में दलित, पिछड़े और उपेक्षित वर्गों के हितों की रक्षा होगी, यह देखना अभी बाकी है।

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