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असम से एक बड़ा फैसला सामने आया है। राज्य सरकार ने अपनी दो बच्चे वाली नीति में बड़ा बदलाव किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि अब जनजातीय समुदायों, चाय बागान मज़दूरों, और मोरान व मट्टक समुदायों को इस नीति से छूट दी जाएगी। सरकार का कहना है कि ये छोटे समुदाय हैं, और अगर इनकी जनसंख्या पर रोक लगाई गई, तो आने वाले पचास सालों में ये खत्म भी हो सकते हैं। इसीलिए अब इन चार समूहों पर दो बच्चे की सीमा लागू नहीं होगी। यह फैसला असम की जनसंख्या नीति में एक अहम मोड़ माना जा रहा है।

असम सरकार ने अपनी दो बच्चे वाली नीति में बड़ा बदलाव किया है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने ऐलान किया है कि अब यह नियम सभी पर लागू नहीं होगा। सरकार ने फैसला लिया है कि जनजातीय समुदायों, चाय बागान मज़दूरों, और मोरान व मट्टक समुदायों को इस नीति से छूट दी जाएगी।

सीएम सरमा ने कहा कि ये सभी छोटे या माइक्रो-कम्युनिटीज़ हैं, जिनकी जनसंख्या बहुत कम है। अगर इन पर सख्त दो बच्चे का नियम लागू किया गया, तो आने वाले पचास सालों में इनका अस्तित्व ही खतरे में पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने इस मुद्दे पर कई समाजशास्त्रियों और विशेषज्ञों से राय ली, और उनके सुझावों के बाद ये कदम उठाया गया।

पहले 2017 में बनी नीति के तहत अगर किसी के दो से ज़्यादा बच्चे होते थे, तो वो व्यक्ति सरकारी नौकरी नहीं पा सकता था और पंचायत चुनाव भी नहीं लड़ सकता था। लेकिन अब इन चार समूहों को इन नियमों से छूट मिल जाएगी। यानी अब वे दो से ज़्यादा बच्चे होने के बावजूद सरकारी नौकरी और चुनाव में हिस्सा ले सकेंगे।

सरकार का कहना है कि इस फैसले का मकसद है असम के स्वदेशी और छोटे समुदायों की जनसंख्या को बचाना और उनका भविष्य सुरक्षित करना। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के सभी समुदायों को साथ लेकर चलना ही असम की असली ताकत है।

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