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असम भाजपा में आंतरिक कलह: कई नेताओं ने दी पार्टी छोड़ने की धमकी

असम भाजपा में आंतरिक कलह कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार पार्टी में असंतोष ने गंभीर रूप ले लिया है। मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत शर्मा ने शुक्रवार को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भवेश कलिता के साथ एक आपात बैठक की। ऊपरी असम के दो प्रभावशाली आहोम नेताओं ने भाजपा छोड़ दी है और कई वरिष्ठ नेताओं ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी है, जिससे भाजपा में अस्थिरता बढ़ गई है।

मुख्यमंत्री हिमंत शर्मा ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भवेश कलिता के साथ बंद कमरे में एक बैठक की। हालांकि इस बैठक के कारण पर पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन माना जाता है कि यह बैठक पार्टी के भीतर जारी असंतोष के संबंध में आयोजित की गई थी। पहले प्रदेश अध्यक्ष भवेश कलिता मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास पर गए, लेकिन बाद में मुख्यमंत्री और भवेश कलिता जनता भवन स्थित मुख्यमंत्री कार्यालय आए। लोक सेवा भवन में मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष के बीच लंबी बैठक हुई।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने पहले ही घोषणा की है कि भाजपा के कई वरिष्ठ नेता कांग्रेस में शामिल होंगे। ऐसे में भाजपा नेतृत्व का चिंतित होना स्वाभाविक है। जल्द ही राज्य की राजनीति में एक और बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। इसके संकेत नलबाड़ी के पूर्व विधायक अशोक शर्मा ने दिए हैं। अशोक शर्मा ने हाल ही में पार्टी के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी। पिछले लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के दिन से ही वे पार्टी विरोधी बयानों से खबरों में बने हुए हैं। पार्टी के प्रदेश कार्यालय से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। इससे तंग आकर अशोक शर्मा ने पार्टी बदलने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि वह 20 जुलाई से पहले आधिकारिक तौर पर कुछ भी सार्वजनिक नहीं करेंगे, यानी नलबाड़ी के पूर्व विधायक 20 जुलाई को दलबदल की घोषणा कर सकते हैं।

ज्ञात हो कि पिछले लोकसभा चुनाव में जोरहाट निर्वाचन क्षेत्र में जीत के लिए कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई को खुमटाई के विधायक मृणाल सइकिया द्वारा बधाई दिए जाने से भाजपा में दरार आ गई थी। भाजपा छोड़ने वाले नेताओं की सूची भी लंबी है। कई नेता पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे हैं और कांग्रेस में वापस आने की जल्दी में हैं। अशोक शर्मा का नाम इस सूची में सबसे ऊपर है।

सिर्फ अशोक शर्मा ही नहीं, बल्कि सिपाझार के पूर्व भाजपा विधायक बिनंद सइकिया और बैठालांग्सू के पूर्व विधायक मानसिंग रंग्पी भी कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। एजीपी नेता और कमलपुर के पूर्व विधायक सत्यव्रत कलिता के भी कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व की मंजूरी के बाद ही उन्हें दल में शामिल किया जाएगा।

पूर्व मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत के बेटे श्यामंत कश्यप के भी कांग्रेस में शामिल होने की संभावना है। बढ़हमपुर निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस का नेतृत्व करने वाले सुरेश बोरा के भाजपा में शामिल होने के बाद उक्त सीट से चुनाव लड़ने के लिए कांग्रेस को एक नेता की आवश्यकता थी। तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष रिपुन बोरा ने फिर से कांग्रेस में शामिल होने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रिपुन बोरा ने कांग्रेस में शामिल होने की इच्छा जताई है और कांग्रेस नेतृत्व भी इस मामले में दिलचस्पी ले रहा है।

भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा नगांव के पूर्व सांसद राजेन गोहाई के भी भाजपा छोड़कर असम जातीय परिषद में शामिल होने की संभावना है। भाजपा के पुराने नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सीधे कांग्रेस में शामिल नहीं होना चाहते हैं। इसलिए राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि राजेन गोहाई कांग्रेस के संपर्क में होने के बावजूद अपना पुराना राजनीतिक आधार बनाए रखने के लिए असम जातीय परिषद में शामिल होना चाहते हैं।

असम कांग्रेस के शीर्ष सूत्रों ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कई नेता अब कांग्रेस में लौटने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हें भाजपा में उम्मीद के मुताबिक महत्व नहीं मिला। लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा ने खुले तौर पर घोषणा की है कि इन नेताओं के लिए कांग्रेस के दरवाजे बंद हैं। आगामी उपचुनाव और पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश कांग्रेस पूरी तरह तैयार है। पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों से कांग्रेस को देशभर में कुछ मजबूती मिली है और प्रदेश में भी पार्टी के भीतर संगठनात्मक सक्रियता में इजाफा हुआ है। 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए तैयार है।

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