असम इस साल दिवाली पर एक अलग ही मोड़ पर खड़ा है। राज्य के लोगों के दिलों में अभी भी उनके प्रिय कलाकार ज़ुबिन गर्ग की अचानक मौत का दुख है। ऐसे में त्योहार का माहौल शांति और यादों के बीच बंटा हुआ नजर आता है।

एक तरफ़ हैं ऑल असम ज़ुबिन गर्ग फैन क्लब और कई संगठन, जो लोगों से साइलेंट दिवाली मनाने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस बार दिवाली को पटाखों के बिना, सिर्फ दीये और प्रार्थना के साथ मनाना चाहिए। फैन क्लब का मानना है कि असम अभी भी शोक में है और ज़ुबिन को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि त्योहार सादगी और शांति के साथ मनाया जाए, न कि पटाखों के शोर में।
वहीं दूसरी तरफ मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा लोगों से खुले मन से दिवाली मनाने की अपील कर रहे हैं। उनका कहना है कि लोग पटाखे खरीदें और त्योहार की रौनक बनाएं, ताकि लोकल व्यापारियों और मैन्युफैक्चरर्स को मदद मिले। मुख्यमंत्री का मानना है कि दिवाली खुशी का प्रतीक है और लोगों को इसे मनाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
लेकिन इस साल गुवाहाटी के बाजारों में पहले जैसी चमक और हलचल नहीं दिख रही। कई दुकानदारों का कहना है कि इस बार बिक्री कम है क्योंकि ज़ुबिन गर्ग की यादों ने लोगों के दिल में अभी भी दुख छोड़ दिया है। लोग खरीदारी के लिए उतने उत्साहित नहीं हैं और त्योहार की रफ्तार धीमी दिख रही है।
इस बार असम की दिवाली दो राहों पर खड़ी है—एक तरफ़ शांति और यादें, तो दूसरी तरफ़ रौनक और खुशियां। सवाल यह है कि लोग किसकी सुनेंगे? क्या वे ज़ुबिन गर्ग की याद में साइलेंट दिवाली चुनेंगे या मुख्यमंत्री की बात मानकर बाजार में रौनक लौटाएंगे?
असम के लोगों के लिए इस दिवाली का मतलब केवल त्योहार मनाना नहीं, बल्कि अपने प्रिय कलाकार की याद और सम्मान के बीच संतुलन बनाने का भी है। इस बार दिवाली पटाखों वाली होगी या साइलेंट, यह तय करना राज्यवासियों के हाथ में है।