संसद में हंगामा… विपक्ष का भारी विरोध… और सोशल मीडिया पर बवाल! वजह? ओडिशा के बारगढ़ से बीजेपी सांसद प्रदीप पुरोहित का विवादित बयान, जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना छत्रपति शिवाजी महाराज से कर दी। जैसे ही यह बयान सदन में गूंजा, विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई और कांग्रेस समेत कई पार्टियों ने इसे शिवाजी महाराज का अपमान करार दिया। लेकिन इस बयान का असर सिर्फ संसद तक ही सीमित नहीं रहा—सोशल मीडिया पर यह मुद्दा आग की तरह फैल गया! लोग पूछ रहे हैं—क्या छत्रपति शिवाजी महाराज को किसी पार्टी से जोड़ा जा सकता है? क्या यह तुलना सही है?
आइए जानते हैं पूरा मामला—
बीजेपी सांसद प्रदीप पुरोहित ने संसद में बोलते हुए गंधमादन पहाड़ी के संत गिरिजा बाबा का जिक्र किया और दावा किया कि बाबा ने उनसे कहा था कि नरेंद्र मोदी पूर्वजन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे। इतना ही नहीं, उन्होंने यह भी जोड़ा कि आज प्रधानमंत्री मोदी भी उन्हीं की तरह भारत को शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं।
यह सुनते ही सदन में हंगामा मच गया। विपक्षी सांसदों ने कड़ा विरोध दर्ज कराया और कांग्रेस ने इस बयान को इतिहास का तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाना बताया।
सदन में हुए भारी विरोध के बाद बयान को कार्यवाही से हटा दिया गया, लेकिन तब तक यह सोशल मीडिया पर बवाल मचा चुका था। लोगों ने जमकर प्रतिक्रियाएं दीं—कुछ ने इसे ऐतिहासिक तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने की कोशिश बताया, तो कुछ ने इसे राजनीति से प्रेरित बयान करार दिया। कई लोग गुस्से में यह भी कह रहे हैं कि संत गिरिजा बाबा को इस तरह के दावे करने से पहले सोच समझकर बोलना चाहिए।
लेकिन मामला यहीं नहीं रुका… विपक्ष ने आरोप लगाया कि औरंगजेब के मकबरे को लेकर पहले से ही विवाद खड़ा किया जा रहा है और अब ऐसे बयान देकर समाज को बांटने की साजिश हो रही है। कांग्रेस ने मांग की कि बीजेपी सांसद को अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए।
अब बड़ा सवाल ये है—
क्या यह बयान महज एक संत की बात को दोहराना था या इसके पीछे कोई राजनीतिक रणनीति है?
क्या छत्रपति शिवाजी महाराज जैसे ऐतिहासिक व्यक्तित्व की तुलना किसी भी नेता से करना सही है?
और सबसे बड़ी बात—क्या ऐसे बयानों से देश की राजनीति में नया बवाल खड़ा हो रहा है?