फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने जड़ी-बूटियों और मसालों में तय मानक से 10 गुना अधिक कीटनाशक मिलाने की इजाजत देने से जुड़ी सभी मीडिया रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया है। फूड रेगुलेटर ने एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया कि इस तरह की सभी खबरें फर्जी और दुर्भावनापूर्ण हैं।
एक प्रेस जारी कर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) यानी कीटनाशक मिलाने की सीमा दुनियाभर में सबसे कड़े मानकों में से एक है। वहीं कीटनाशकों के एमआरएल उनके खतरे के आकलन के आधार पर खाने की अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग तय किए जाते है।
एफएससएएआई का कहना है कि भारत में कीटनाशकों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत बनाई गई केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड और पंजीकरण समिति (सीआईबी और आरसी) के माध्यम से विनियमित किया जाता है। सीआईबी और आरसी कीटनाशकों की मैन्युफैक्चरिंग, आयात, निर्यात, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज आदि को विनियमित करते हैं।
पिछले महीने सिंगापुर और हांगकांग ने MDH और एवरेस्ट के कुछ मसालों पर बैन लगा दिया और उन्हें वापस लेने का भी आदेश दिया। उनका आरोप था कि इन मसालों में हानिकारक एथिलीन ऑक्साइड है, जो कैंसर की वजह बन सकता है। अमेरिका समेत कम से कम पांच देश भारतीय मसालों की जांच कर रहे हैं।
FSSAI भी मसालों कंपनियों की जांच कर रहा है। उसने मसाला पाउडर बनाने वाली कंपनियों के कारखानों का निरीक्षण करने के साथ सैंपल जुटाने और टेस्टिंग करने का निर्देश दिया है। फूड रेगुलेटर यह भी जांच करेगा कि क्या मसाला कंपनियों के प्रोडक्ट्स में एथिलीन ऑक्साइड मौजूद है।