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आज हल्दीराम भुजियावाला देश का सबसे पसंदीदा स्नैक्स ब्रांड बन चुका है। हल्दीरामस के भुजिया से लेकर नमकीन तक और मिठाइयां लोगों को खूब पसंद आती है। बीकानेर की गलियों की एक छोटी सी दुकान से देश के सबसे बड़े स्नैक ब्रांड तक का सफर हल्दीराम ने बोहोत कम समय में तय किया। आज हल्दीराम अपने स्वाद और जायके के लिए देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी मशहूर है। आखिर क्या है हल्दीरामस की सफलता का राज? कौन है गंगा बिशन अग्रवाल जिन्होंने एक छोटी सी फ़रसाण की दुकान को 70,000 करोड़ की कंपनी मे तब्दील किया।

गंगा बिशन अग्रवाल: हल्दीराम का इतिहास

भारत के सबसे प्रिय स्नैक ब्रांडों में से एक, हल्दीराम की उत्पत्ति राजस्थान के बीकानेर में एक मामूली मिठाई की दुकान से हुई है। ब्रांड की स्थापना 1937 में गंगा बिशन अग्रवाल, जिन्हें हल्दीराम जी के नाम से जाना जाता है, ने की थी। उन्होंने पारंपरिक भारतीय मिठाइयाँ और स्नैक्स, विशेषकर भुजिया बेचने वाली एक छोटी सी दुकान से शुरुआत की थी।
गंगा बिशन अग्रवाल जी का जन्म 1908 मे गुलाम भारत के बीकानेर मे हुआ था। आप को मालूम हो की बीकानेर के लोग खाने पीने के काफी शौकीन होते है। आप कभी बीकानेर जाए तो आपको तरह तरह के नमकीन मिल जाएंगे। यहा का भुजिया विश्व भर में मशहूर है। और इसी जगह से गंगा बिशन यानि हल्दीराम जी ने एक छोटी सी दुकान खोली जो आज देश का नंबर 1 ब्रांड बन चुका है।

पारिवारिक साम्राज्य: गंगा बिशन अग्रवाल

गंगा बिशन अग्रवाल की दूरदर्शिता और समर्पण ने स्नैक साम्राज्य बनने की नींव रखी। उनके बेटों और पोते-पोतियों ने उनकी विरासत को कायम रखा और कारोबार को बीकानेर से आगे बढ़ाया। 1980 के दशक में, हल्दीराम ने बड़े बाजारों में कदम रखा, कोलकाता में स्टोर खोले, उसके बाद दिल्ली और नागपुर में और इस अवधि में एक क्षेत्रीय पसंदीदा से एक राष्ट्रीय ब्रांड की शुरुआत हुई।
आज हल्दीराम तीन अलग-अलग संस्थाओं में विभाजित हो चुका है। प्रत्येक को अग्रवाल परिवार की विभिन्न शाखाओं द्वारा चलाया जाता है। हल्दीराम का भुजियावाला (कोलकाता), हल्दीराम का प्रभुजी (कोलकाता) और हल्दीराम का (नागपुर और दिल्ली) इसमे शामिल है।

हल्दीराम का घर-घर तक का सफर

हल्दीराम की सफलता का राज उसकी पारंपरिक व्यंजनों को आधुनिक निर्माण तकनीकों के साथ संयोजित करने की क्षमता में है। उन्होंने अपनी उत्पाद साखा का विस्तार करते हुए इसमें न केवल भुजिया और मिठाइयाँ, बल्कि नमकीन, पापड़ और रेडी-टू-ईट भोजन भी शामिल किया।
1990 के दशक तक, हल्दीराम ने भारत में एक महत्वपूर्ण उपस्थिति स्थापित कर ली थी, और ब्रांड ने अपने उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात करना शुरू कर दिया था। आज, हल्दीराम के उत्पाद 80 से अधिक देशों में उपलब्ध हैं, जो दुनिया भर में भारतीय प्रवासियों और नाश्ते के शौकीनों की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।
हाल के अनुमानों के मुताबिक, हल्दीराम साम्राज्य का ब्रांड वैल्यू और रेविन्यू इसे भारत के शीर्ष खाद्य ब्रांडों में रखता है, जिसका वार्षिक कारोबार 1 बिलियन से अधिक है। हल्दीराम के अग्रवाल परिवार के सदस्यों की व्यक्तिगत कुल संपत्ति अरबों डॉलर तक पहुच गई है।

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