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पूरी दुनिया में शिक्षा का प्रमुख केंद्र रहा नालंदा विश्वविद्यालय करीब 800 सालों के बाद फिर से जीवंत हो उठा है।
17 देशों के सहयोग से भारत सरकार ने राजगीर के पास नालंदा विश्वविद्यालय का नया कैंपस बनाया, जिसका प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज 19 जून 2024 को बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय परिसर का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और 17 देशों के मिशन प्रमुखों सहित कई प्रमुख हस्तियां शामिल थे। यह कैंपस प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के खंडहरों से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित है। पीएम मोदी ने नए परिसर का उद्घाटन करते हुए भारतीय शिक्षा का इतिहास और नालंदा विश्वविद्यालय की गौरव गाथा का जिक्र किया।

इस नए परिसर का उद्घाटन करने से पहले पीएम मोदी ने यूनिवर्सिटी की धरोहर देखी। नालंदा पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने सबसे पहले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का भग्नावशेष देखा और उसके इतिहास की पूरी जानकारी ली। ईस दौरान उनकी गाइड पटना सर्किल हेड गौतमी भट्टाचार्या बनीं। नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास, शिक्षा के प्रति भारतीय दृष्टिकोण और इसकी समृद्धि को दर्शाता है। इसका महत्व न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे विश्व के लिए अनमोल धरोहर के रूप में है। नालंदा विश्वविद्यालय प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था। लोकसभा चुनाव के बाद पहली बार बिहार पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय परिसर पहुंचे और नए परिसर का उद्घाटन किया।

भारत के अलावा इस यूनिवर्सिटी को बनाने में जिन 17 अन्य देशों की भागीदारी है उनमें ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, भूटान, ब्रुनेई दारुस्सलाम, कंबोडिया, चीन, इंडोनेशिया, लाओस, मॉरीशस, म्यांमार, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, कि मुझे तीसरे कार्यकाल के लिए शपथ ग्रहण करने के बाद पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला है। यह मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। उन्होंने कहा कि नालंदा केवल एक नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, मंत्र है, गौरव है, गाथा है। नालंदा इस सत्य का उद्घोष है कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं, लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं।

पीएम मोदी ने कहा कि तीसरे कार्यकाल की शपथ लेने के कुछ ही दिनों बाद नालंदा आने का अवसर मिला, यह मेरा सौभाग्य है। यह स्वर्णिम युग की शुरुआत है। हम सभी जानते हैं कि नालंदा कभी भारत की परंपरा और पहचान का जीवंत केंद्र हुआ करता था। शिक्षा को लेकर यही भारत की सोच रही है। शिक्षा ही हमें गढ़ती है, विचार देती है और उसे आकार देती है। प्राचीन नालंदा में बच्चों का प्रवेश उनकी पहचान, उनकी राष्ट्रीयता को देख कर नहीं होता था। हर देश हर वर्ग के युवा यहां पर हैं। नालंदा विश्वविद्यालय के इस नए परिसर में हमें उसी प्राचीन व्यवस्था को फिर से आधुनिक रूप में मजबूती देनी है और मुझे ये देख कर खुशी है कि दुनिया के कई देशों से आज यहां कई विद्यार्थी आने लगे हैं। अपने प्राचीन अवशेषों के पास नालंदा का नवजागरण, ये नया कैंपस विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा।

नया नालंदा विश्वविद्यालय परिसर, जो पारंपरिक और आधुनिक वास्तुशिल्प तत्वों को एकीकृत करता है, 455 एकड़ में फैला है और इसमें 100 एकड़ जल निकायों के साथ नेट ज़ीरो क्षेत्र शामिल है। तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम के सुझाव के बाद 2007 में इस नए विश्वविद्यालय की स्थापना के प्रयास ने गति पकड़ी थी ।
सरकार द्वारा 455 एकड़ के प्रावधान और 2010 में संसद के एक विशेष अधिनियम के साथ, विश्वविद्यालय को औपचारिक रूप से एक राष्ट्रीय संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था। नालंदा विश्वविद्यालय को 2014 में भाजपा सरकार आनेके बाद बड़ा प्रोत्साहन मिला, जब इसने 14 छात्रों के साथ एक अस्थायी कैंपस सेकाम करना शुरू किया। विश्वविद्यालय का निर्माण कार्य 2017 में शुरू हुआ था। सरकार ने ऐसा संस्थान बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जो आधुनिक दुनिया में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को याद दिलाता हो। 5वीं शताब्दी में स्थापित नालंदा यूनिवर्सिटी दुनिया भर से छात्रों को आकर्षित करता था। 12वीं शताब्दी में आक्रमणकारियों द्वारा जलाने से पहले यह प्राचीन विश्वविद्यालय 800 वर्षों तक फलता-फूलता रहा।

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