
यह कहानी है एक ऐसी लड़की की, जिसने जिंदगी की सबसे बड़ी मुश्किलों को भी अपने सपनों के आगे झुकने नहीं दिया।
इस लड़की का नाम है — सिमु दास।
सिमु दास जन्म से ही दृष्टिहीन हैं। उनकी आंखों में रोशनी नहीं थी, लेकिन दिल में उम्मीद और हिम्मत की रोशनी हमेशा जलती रही। जब उनके पिता को यह पता चला, तो उन्होंने सिमु और उनकी मां को छोड़ दिया। सिमु की मां बीमार रहती थीं और बिस्तर से उठ भी नहीं पाती थीं। घर में गरीबी इतनी थी कि कई बार दो वक्त की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो जाता था। उनका भाई भी विकलांग था और लगातार सहायता का इंतजार करता था।
लेकिन इन सबके बीच भी सिमु ने कभी हार नहीं मानी। न रोईं, न टूटीं…बस आगे बढ़ती रहीं।
असम के नागांव जिले के एक छोटे से गांव कथियातली से निकलकर, सिमु दास ने वो कर दिखाया जो किसी ने सोचा भी नहीं था।
पहली दृष्टिहीन असम की लड़की जिसने इतिहास बनाया
सिमु दास असम की पहली दृष्टिहीन लड़की बनीं
जिन्होंने महिला ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप 2025 के लिए क्वालीफाई किया। यह सिर्फ एक चयन नहीं था,
यह एक सपना था—जो गरीबी, दर्द और संघर्ष की जमीन से उगकर पूरे देश को रोशन करने वाला फूल बन गया।
भारत की पहली वर्ल्ड कप जीत में अहम भूमिका
2025 में जब भारत पहली बार महिला ब्लाइंड T20 वर्ल्ड कप जीता,तो इस जीत की कहानी में एक नाम बहुत चमक रहा था—सिमु दास। सिमु की मेहनत, उनका खेल और उनकी हिम्मत टीम इंडिया की इस ऐतिहासिक जीत का बड़ा कारण बनी। इस उपलब्धि के बाद सिमु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से खास बातचीत की।
यह सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि पूरे असम के लिए गर्व का पल था।
भारत और नेपाल के बीच हुई महिला ब्लाइंड क्रिकेट सीरीज़ में सिमु दास बेस्ट प्लेयर ऑफ द सीरीज़ चुनी गईं। उनका प्रदर्शन देखकर हर कोई हैरान भी हुआ और गर्व से भर गया।
सिमु का सपना—हरमनप्रीत कौर की राह पर चलना
आज सिमु दास का एक नया सपना है, अपनी आइडल हरमनप्रीत कौर की तरह भारतीय टीम की लीडर बनना,
देश के लिए लगातार खेलना और नई ऊंचाइयों को छूना।
सिमु दास की कहानी सिर्फ एक खिलाड़ी की कहानी नहीं है, यह हिम्मत, उम्मीद और संघर्ष की जीत की कहानी है।
वो हमें सिखाती हैं कि—अगर मन में जिद हो,अगर दिल में विश्वास हो,तो कोई भी कठिनाई आपको रोक नहीं सकती।