अब से कुछ ही देर में जुबीन गर्ग का पार्थिव शरीर काहिलीपाड़ा स्थित उनके घर पहुँचने वाला है… जहाँ एक बार फिर चाहने वालों की भीड़ उन्हें देखने उमड़ेगी। असम का दिल टूट चुका है… गुवाहाटी की सड़कों पर आज एक ही नाम गूंज रहा है – जुबीन गर्ग। सुबह-सुबह दिल्ली से उनका पार्थिव शरीर गुवाहाटी एयरपोर्ट पहुँचा तो वहाँ हर आँख नम हो गई। पत्नी गरिमा सैकिया गर्ग ताबूत से लिपटकर रो पड़ीं, उनका दर्द देखकर हर कोई गहरे भावुक हो उठा। एयरपोर्ट से निकलते ही गाड़ी बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ी… लेकिन उसके चारों तरफ़ हजारों लोग पैदल चल रहे थे। हाथों में फूल, बैनर और दिल में दर्द लेकर लोग बस एक ही आवाज़ लगा रहे थे – “जुबीन… जुबीन।”

अब से कुछ ही देर में जुबीन गर्ग का पार्थिव शरीर काहिलीपाड़ा स्थित उनके घर पहुँचने वाला है… काहिलीपाड़ा स्थित उनके घर पहुँचने के बाद पार्थिव शरीर को सरुसजाई के अर्जुन भोगेश्वर बरुआ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स ले जाया जाएगा, जहाँ आम लोग और फैंस उन्हें श्रद्धांजलि दे सकेंगे। लेकिन भीड़ इतनी ज़्यादा है कि गाड़ी कछुए की चाल से चल रही है और सरुसजाई पहुँचने में देर हो रही है।
भीड़ और गर्मी ने हालात और कठिन बना दिए हैं। कई फैंस, जो वैन के साथ चल रहे थे या स्टेडियम में इंतज़ार कर रहे थे, तेज धूप और थकान से बेहोश हो गए। प्रशासन ने मौके पर मेडिकल टीमें तैनात की हैं, ताकि किसी को भी तुरंत मदद दी जा सके। फिर भी लोग हार नहीं मान रहे। पसीने और दर्द के बीच भी वो सिर्फ़ जुबीन के लिए खड़े हैं।
सरकार ने भी इंतज़ाम पुख्ता कर दिए हैं। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग की डॉक्टरों की एक स्पेशल टीम बनाई गई है, जो यह देखेगी कि जुबीन का पार्थिव शरीर कितने समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। अगर शरीर में किसी भी तरह के विघटन के संकेत दिखे तो अंतिम संस्कार जल्दी करना पड़ सकता है। अधिकतम एक दिन अतिरिक्त ही इसे जनता के लिए रखा जा सकेगा।
लंबी चर्चाओं और निरीक्षणों के बाद अब यह तय हो गया है कि जुबीन गर्ग की अंतिम विश्राम स्थली सोनापुर का हातिमुरा होगा।
साइंस सिटी, नॉर्थ ईस्ट ट्राइबल म्यूज़ियम और मोइराकुची जैसी जगहों का निरीक्षण करने के बाद प्रशासन ने यह निर्णय लिया। परिवार की भावनाओं का भी पूरा सम्मान किया गया। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए तैयारियों की समीक्षा की।
अब हातिमुरा वह जगह बनेगा, जहाँ असम का यह महान कलाकार हमेशा के लिए अमर हो जाएगा। लाखों लोग वहाँ पहुँचकर अपने प्रिय गायक को विदाई देंगे। जुबीन सिर्फ़ एक गायक नहीं थे, वो असम की आत्मा की आवाज़ थे। उनका संगीत और उनकी यादें पीढ़ियों तक जिंदा रहेंगी।