
आज राष्ट्रीय ध्वज दिवस है। भारत का तिरंगा हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है। 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। इसका डिजाइन पिंगली वेंकैया ने तैयार किया था। तिरंगा न केवल हमारे देश की पहचान है, बल्कि यह हमारे इतिहास, संस्कृति और बलिदानों की कहानी भी कहता है।
तिरंगे के रंगों का महत्व
केसरिया: तिरंगे का ऊपरी हिस्सा केसरिया रंग का है, जो साहस, बलिदान और ऊर्जा का प्रतीक है। यह हमें याद दिलाता है कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। यह रंग हमें भी प्रेरित करता है कि हम अपने देश की सेवा के लिए हमेशा तैयार रहें।
सफेद: बीच का सफेद रंग शांति, सत्य और भाईचारे का संदेश देता है। महात्मा गांधी के सत्य और अहिंसा के सिद्धांत इस रंग में झलकते हैं। यह हमें सिखाता है कि एकता और आपसी सम्मान से ही हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं।
हरा: तिरंगे का निचला हरा रंग जीवन, उर्वरता और प्रगति का प्रतीक है। यह हमारे कृषि प्रधान देश और उसकी हरियाली की पहचान है। यह रंग हमें पर्यावरण की रक्षा और देश को समृद्ध बनाने की प्रेरणा देता है।
अशोक चक्र का संदेश
तिरंगे के बीच में नीले रंग का अशोक चक्र है, जो सम्राट अशोक के सारनाथ स्तंभ से लिया गया है। यह धर्म, प्रगति और गतिशीलता का प्रतीक है। 24 तीलियों वाला यह चक्र बताता है कि जीवन और समय कभी रुकते नहीं हैं, हमें हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए।
24 तीलियों का महत्व
अशोक चक्र की 24 तीलियां जीवन के 24 गुणों को दर्शाती हैं—प्रेम, साहस, धैर्य, शांति, दया, उदारता, विश्वास, नम्रता, सत्य, ज्ञान, न्याय, करुणा, उत्साह, सेवा, शुद्धता, सहनशीलता, ईमानदारी, परोपकार, विनम्रता, आशा, विश्वास, अहिंसा, संयम और बलिदान। ये गुण हमें एक आदर्श जीवन जीने की सीख देते हैं।
तिरंगा हमें यह याद दिलाता है कि हमारी पहचान केवल तीन रंगों का झंडा नहीं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, हमारे आदर्शों और देश की प्रगति का प्रतीक है।