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ईरान और इज़रायल के बीच जंग जारी है। दोनों देशों में हालात बहुत खराब हैं और इसी बीच वहां हजारों भारतीय फंसे हुए हैं। अब भारत सरकार ने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने के लिए ‘मिशन रेस्क्यू’ शुरू कर दिया है। पहले 110 भारतीयों को ईरान से आर्मीनिया पहुंचाया गया है, जहां से वे जल्द ही भारत लौटेंगे। सरकार की कोशिश है कि हर भारतीय सही-सलामत अपने देश लौट सके।

ईरान और इज़रायल के बीच युद्ध की आग और भड़क उठी है। दोनों देशों के बीच मिसाइलों की बरसात लगातार जारी है। सोमवार और मंगलवार की दरमियानी रात, दोनों ने एक-दूसरे पर भारी मिसाइल हमले किए। ईरानी मिसाइलों का निशाना बने इज़रायली शहर—तेल अवीव, हाइफा और पेटाह टिकवा—जहां कई लोग मारे गए और दर्जनों घायल हुए। अब तक मरने वाले इज़रायली नागरिकों की संख्या 24 तक पहुंच चुकी है। वहीं दूसरी तरफ, इज़रायल के जवाबी हमलों में ईरान को कहीं ज्यादा नुकसान झेलना पड़ा है। अब तक करीब 224 ईरानी नागरिक इन हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

इस घातक संघर्ष का आज पांचवां दिन है, और हालात हर घंटे और भयावह होते जा रहे हैं। ऐसे में भारत सरकार ने भी अपने नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए बड़ा कदम उठाया है। ईरान में फंसे हजारों भारतीयों को निकालने के लिए ‘मिशन रेस्क्यू’ की शुरुआत कर दी गई है। पहले चरण में 110 भारतीयों को ईरान से निकालकर आर्मीनिया पहुंचाया गया है, जहां से उन्हें भारत लाया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने ईरान और इज़रायल में रह रहे भारतीयों के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं, ताकि किसी भी संकट की स्थिति में वे भारत सरकार से सीधा संपर्क कर सकें।

यह फैसला ऐसे वक्त में लिया गया है जब ईरान में करीब 10,000 भारतीय छात्र बेहद मुश्किल हालातों में फंसे हुए हैं। भारत ने ईरान सरकार से इन छात्रों की सुरक्षित वापसी के लिए मदद मांगी थी। ईरानी सरकार ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि उसका हवाई क्षेत्र युद्ध की वजह से बंद है, लेकिन भारतीय नागरिक जमीनी रास्तों से अज़रबैजान, तुर्कमेनिस्तान या अफगानिस्तान के जरिए बाहर जा सकते हैं। भारत और ईरान की सरकारों के बीच लगातार बातचीत जारी है ताकि हर भारतीय नागरिक को सुरक्षित वापस लाया जा सके। युद्ध के इस संकट भरे दौर में भारत की कोशिश है कि उसके नागरिकों को बिना किसी नुकसान के घर वापस लाया जाए।

ईरान और इज़रायल के बीच चल रही जंग अब भारत के दरवाज़े तक आ पहुंची है — क्योंकि युद्ध के बीच वहां फंसे हैं हमारे अपने लोग… हज़ारों भारतीय छात्र, नागरिक और कामगार जो अब जान बचाने की जद्दोजहद में हैं।
जैसे-जैसे दोनों देशों के बीच मिसाइलों की बारिश तेज़ हो रही है, भारत ने समय रहते बड़ा फैसला लिया है। भारत सरकार ने ‘मिशन रेस्क्यू’ की शुरुआत कर दी है। इस अभियान के तहत ईरान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने का काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। पहला जत्था—110 भारतीयों का—ईरान से आर्मीनिया पहुंच चुका है, जहां से उन्हें भारत लाया जाएगा।

यह सिर्फ शुरुआत है। भारत ने ईरान सरकार से आग्रह किया है कि वहां मौजूद करीब 10,000 भारतीय छात्रों की वापसी में पूरा सहयोग दिया जाए। ईरान ने हामी भर दी है। चूंकि हवाई क्षेत्र बंद है, ऐसे में भारतीय नागरिकों को ज़मीनी रास्तों से अज़रबैजान, तुर्कमेनिस्तान या अफगानिस्तान की ओर भेजा जाएगा।

संकट की इस घड़ी में भारत सरकार पूरी तरह सतर्क है। विदेश मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं ताकि ईरान और इज़रायल में रह रहे भारतीय नागरिक किसी भी स्थिति में सीधे संपर्क कर सकें। भारत और ईरान के बीच उच्च स्तर पर बातचीत जारी है।

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