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इस बार की गर्मी केवल तापमान की बढ़ोतरी नहीं है, बल्कि यह एक खतरनाक चेतावनी है – एक भयानक भविष्य की झलक। अप्रैल, जो आमतौर पर गर्मी की शुरुआत माना जाता है, इस साल तबाही की कहानी लेकर आया है। मौसम वैज्ञानिकों और जलवायु विशेषज्ञों ने जो चेतावनी दी है, वह डराने वाली है – भारत और पाकिस्तान इस बार ऐसी गर्मी का सामना करेंगे, जो अब तक के सभी रिकॉर्ड को पीछे छोड़ देगी।

तापमान अमेरिका की डेथ वैली जितना, यानी करीब 50 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। भारत के उत्तर-पश्चिमी इलाकों – राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश – में अप्रैल के पहले ही दो हफ्तों में तापमान 44 डिग्री तक पहुंच चुका है। और ये तो सिर्फ शुरुआत है!

पाकिस्तान की स्थिति भी नाजुक है। पहले ही आर्थिक संकट और ऊर्जा की भारी कमी से जूझ रहे इस देश को अब हीटवेव ने घेर लिया है। ऊर्जा की भारी कमी के चलते, वहां के लोग 16 घंटे तक बिजली कटौती का सामना कर सकते हैं, जिससे पानी की सप्लाई, पंखों, कूलरों और मेडिकल सुविधाओं का आभाव हो सकता है। और जब इतनी गर्मी हो, तो इन सुविधाओं की कमी का मतलब है एक और संकट, जो मौत का कारण बन सकता है।
लेकिन ये संकट सिर्फ तापमान का नहीं है। ये चेतावनी है उस जलवायु परिवर्तन की, जिसकी नींव हमने खुद रखी है – कार्बन उत्सर्जन, जंगलों की कटाई, शहरीकरण की अंधी दौड़ और ग्लोबल वॉर्मिंग ने हमारी धरती को तपते तवे में बदल दिया है।

अब सवाल ये उठता है – क्या किया जाए?

दोपहर 12 से 4 बजे तक घर से बाहर न निकलें।
अधिक पानी पिएं, हल्के और ढीले कपड़े पहनें।
बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें।
छायादार या वातानुकूलित स्थानों में रहें।
पेड़ लगाएं, जल स्रोतों को बचाएं और ऊर्जा का विवेकपूर्ण उपयोग करें।

यह गर्मी हमारे जीने के तरीके को बदलने पर मजबूर कर रही है। अब वक्त है कि हम जलवायु अनुकूलन और पर्यावरण संरक्षण को गंभीरता से लें। अगर आज नहीं चेते, तो कल हमारे बच्चे इस संकट का और भी भयावह रूप देखेंगे।
यह लड़ाई अब सिर्फ गर्मी से नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य को बचाने की है।

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