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चीन ने शुक्रवार को ऐलान किया कि वह अमेरिका से आयात होने वाले सामान पर नए टैक्स (टैरिफ) लगाएगा। अब चीन ने इन टैक्स को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। ये नया नियम 12 अप्रैल से लागू होगा। इसका मतलब यह है कि अब अमेरिका से चीन आने वाले सामान पर ज्यादा टैक्स लगेगा, जिससे ये चीजें महंगी हो जाएंगी।

ट्रंप के फैसले का चीन ने दिया जवाब

चीन का यह फैसला सीधे तौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से बढ़ाए गए टैरिफ का जवाब है। कुछ दिनों पहले ही ट्रंप प्रशासन ने चीन से आने वाले सामानों पर टैरिफ बढ़ाकर 125% कर दिया था। अब चीन ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए अपने टैरिफ बढ़ा दिए हैं। लेकिन, मामला यहीं खत्म नहीं हुआ।
अमेरिका का टैरिफ 125% नहीं, बल्कि 145% हो गया

व्हाइट हाउस ने साफ कर दिया है कि अमेरिकी सरकार ने चीन पर कुल 145% टैरिफ लगा दिया है, न कि सिर्फ 125%। यह बढ़ोतरी इसलिए हुई क्योंकि अमेरिका ने फेंटेनाइल नाम की ड्रग (मादक पदार्थ) की तस्करी में चीन की भूमिका को लेकर 20% अतिरिक्त टैरिफ और जोड़ दिया। इसका असर यह होगा कि चीन से आने वाले सामानों की कीमत अमेरिका में और ज्यादा बढ़ जाएगी।


व्यापार युद्ध और तेज

चीन और अमेरिका के इस नए फैसले से साफ हो गया है कि दोनों देश अपने-अपने फैसलों पर अड़े हुए हैं और व्यापारिक टकराव (ट्रेड वॉर) और बढ़ सकता है। जब देशों के बीच टैक्स बढ़ते हैं, तो सामान महंगा हो जाता है और इसका असर आम लोगों और कारोबारियों पर पड़ता है। अब दोनों देशों में कारोबार करना और महंगा हो जाएगा।
कौन-कौन होगा सबसे ज्यादा प्रभावित

इस फैसले का सबसे ज्यादा असर अमेरिका की कृषि, ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी कंपनियों पर पड़ेगा। अमेरिका के किसान, कार कंपनियां और मोबाइल-इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने वाली कंपनियां इससे सबसे ज्यादा प्रभावित होंगी। वहीं, चीन इस फैसले के बाद अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश करेगा और अन्य देशों के साथ अपने व्यापार को बढ़ाएगा।

ग्लोबल बाजार में असर

इस फैसले का असर सिर्फ अमेरिका और चीन तक सीमित नहीं रहेगा। दुनियाभर के बाजारों में इसकी हलचल दिखाई देगी। जब दो बड़े देश व्यापार में सख्ती करते हैं, तो बाकी देशों पर भी इसका असर होता है। इससे निवेशकों (इन्वेस्टर्स) का भरोसा डगमगा सकता है और वैश्विक मंदी (इकोनॉमिक क्राइसिस) का खतरा भी बढ़ सकता है।

अब आगे क्या होगा

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन और अमेरिका अपने-अपने सख्त फैसलों को वापस लेंगे या फिर यह व्यापार युद्ध और बढ़ता जाएगा? दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ता रहा, तो इसका असर पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। वहीं, डॉलर और युआन जैसी बड़ी मुद्राओं पर भी असर देखने को मिलेगा। बाजार में भारी उतार-चढ़ाव हो सकता है और कई देशों को इससे आर्थिक नुकसान भी हो सकता है।
अब दुनिया की नजर इस पर टिकी है कि क्या अमेरिका और चीन आपसी बातचीत से इस समस्या को हल करेंगे या फिर यह व्यापार युद्ध और भड़क जाएगा?

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