महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में स्थित न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। इसके बाद बैंक की सभी शाखाओं पर ग्राहकों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है। लोग अपने जमा पैसे को लेकर चिंतित हैं क्योंकि बैंक पर लगे प्रतिबंधों के चलते वे अपनी मेहनत की कमाई नहीं निकाल पा रहे हैं।
कितनी गंभीर है समस्या?
बैंक के खाताधारकों में किसी के 1 लाख रुपये फंसे हैं, तो किसी के रिटायरमेंट के पूरे 20 लाख रुपये। कई हाउसिंग सोसायटियों का 40 से 50 लाख रुपये इस बैंक में अटका हुआ है। आरबीआई के नए नियमों के तहत ग्राहक केवल 5 लाख रुपये तक की निकासी कर सकते हैं।
आरबीआई ने क्यों लगाया प्रतिबंध?
भारतीय रिजर्व बैंक ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में भारी अनियमितताओं के चलते इसके कामकाज पर सख्त रोक लगा दी है। बैंक अब ना तो कोई नया लोन दे सकेगा, ना ही कोई नया डिपॉजिट ले सकेगा। आरबीआई ने स्पष्ट किया कि बैंक की मौजूदा नकदी स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।
प्रतिबंध कब से लागू हुआ?
आरबीआई के इस आदेश को 13 फरवरी 2025 से लागू कर दिया गया है, जो अगले 6 महीनों तक जारी रहेगा। इस दौरान बैंक के हालात सुधारने की कोशिश की जाएगी और इसके बाद आरबीआई इस फैसले की समीक्षा करेगा।
किन चीजों की अनुमति है?
हालांकि, आरबीआई ने कुछ आवश्यक खर्चों की अनुमति दी है, जैसे:
• बैंक कर्मचारियों के वेतन का भुगतान
• किराए और बिजली के बिल जैसी आवश्यक मदों का भुगतान
बैंक के ग्राहक क्या कर सकते हैं?
बैंक में हाल ही में हुए घटनाक्रमों को देखते हुए, सुपरवाइजरी चिंताओं और जमाकर्ताओं के हितों की रक्षा के लिए आरबीआई ने यह कड़ा फैसला लिया है। हालांकि, जिन खाताधारकों का पैसा बैंक में फंसा है, वे डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से 5 लाख रुपये तक की बीमा राशि प्राप्त करने के हकदार होंगे।
कहां-कहां हैं बैंक की शाखाएं?
न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक की कुल 28 शाखाएं हैं:
• मुंबई, ठाणे और पालघर में 26 शाखाएं
• सूरत में 2 शाखाएं
बैंक में खाता धारकों की संख्या लाखों में है, जो अब अपनी जमा पूंजी को लेकर चिंतित हैं।
ग्राहकों के लिए क्या है अगला कदम?
ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे बैंक के आगे के अपडेट पर नजर बनाए रखें और अपनी वित्तीय योजनाओं को ध्यान से प्रबंधित करें। आरबीआई आने वाले महीनों में बैंक की स्थिति की समीक्षा करेगा, जिसके बाद ही यह तय होगा कि बैंक पर लगी पाबंदियां हटाई जाएंगी या नहीं।