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उत्तराखंड के बाद अब गुजरात भी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में आगे बढ़ गया है। गुजरात सरकार ने मंगलवार को इस फैसले की आधिकारिक घोषणा की। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल और गृह मंत्री हर्ष संघवी ने इस मुद्दे को लेकर संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस की और बताया कि सरकार ने UCC के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित की है।

गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने जानकारी दी कि इस कमेटी की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना देसाई करेंगी। यह कमेटी 45 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश नागरिकों के समान अधिकारों की ओर बढ़ रहा है और गुजरात इस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

UCC का उद्देश्य और प्रभाव

यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का मकसद देश में सभी नागरिकों के लिए विवाह, तलाक, भरण-पोषण, संपत्ति के अधिकार, गोद लेना और उत्तराधिकार जैसे मामलों में समान कानून लागू करना है। यह कानून सभी धर्मों, जातियों और समुदायों के लोगों पर समान रूप से लागू होगा।
गुजरात सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि UCC लागू करने के दौरान आदिवासी समाज की परंपराओं और रीति-रिवाजों का संरक्षण किया जाएगा। समिति सभी धर्मगुरुओं और सामाजिक संगठनों से चर्चा कर रिपोर्ट तैयार करेगी।

गुजरात बना दूसरा राज्य

अगर गुजरात में UCC लागू होता है, तो यह उत्तराखंड के बाद यह कानून लागू करने वाला दूसरा राज्य बन जाएगा। उत्तराखंड सरकार ने हाल ही में समान नागरिक संहिता को मंजूरी दी थी और इसे एक सफल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।

UCC से क्या होगा बदलाव?


सभी नागरिकों के लिए समान कानून: अब शादी, तलाक, गोद लेने, संपत्ति के बंटवारे जैसे मामलों में सभी धर्मों के लिए एक समान कानून होगा।

लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन: अब लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले कपल्स को भी रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा।

सामाजिक समानता: यह कानून धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर कानूनों में अंतर को खत्म करेगा और सभी नागरिकों को समान अधिकार देगा।

2022 से चल रही थी चर्चा

गुजरात सरकार ने 2022 में UCC लागू करने का इरादा जताया था और 2023 में इस पर फिर से चर्चा शुरू हुई थी। अब सरकार ने इसे लागू करने की दिशा में बड़ा कदम उठा लिया है।

UCC को लेकर गुजरात सरकार का यह निर्णय एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। यह कानून सभी नागरिकों को समान अधिकार देने की दिशा में एक मजबूत कदम है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद गुजरात सरकार इसे किस तरह लागू करती है।

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