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उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक लंबे समय से बंद पड़े शिव मंदिर की सोमवार को प्रशासन द्वारा दोबारा खोले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई। इस मंदिर के बारे में चौंकाने वाले तथ्य तब सामने आए जब बिजली चोरी की जांच के दौरान पुलिस को इसके अस्तित्व का पता चला। संभल के दीपसराय से सटे खग्गू सराय इलाके में स्थित इस मंदिर का उद्घाटन करने के बाद, वहां पूजा-अर्चना का आयोजन हुआ और बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

मंदिर परिसर में एक कुआं भी मौजूद था, जिसे कई सालों पहले पाट दिया गया था। सोमवार को प्रशासन ने उस कुएं की खुदाई करवाई, जिससे माता पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की मूर्तियां मिलीं। ये मूर्तियां खंडित हैं और पुलिस उन्हें अपने साथ ले गई है ताकि उनकी जांच की जा सके और यह पता चल सके कि वे कितनी पुरानी हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं, सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं, और कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है ताकि 24 घंटे की निगरानी हो सके।

इस मामले ने ऐतिहासिक महत्व भी हासिल कर लिया है, क्योंकि प्रशासन ने मंदिर और उसके अवशेषों की प्राचीनता जानने के लिए ASI को पत्र लिखा है। इस जांच का उद्देश्य कार्बन डेटिंग के माध्यम से यह पता लगाना है कि मंदिर, शिवलिंग और वहां मौजूद मूर्तियां कितनी पुरानी हैं। स्थानीय निवासियों के बीच इस घटना को लेकर भारी उत्साह है। मंदिर के खुलने के बाद से क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियां बढ़ गई हैं। स्थानीय लोग बताते हैं कि 1978 में इलाके में दंगा हुआ था, जिसके बाद हिंदू परिवार यहां से पलायन कर गए। अब, इस मंदिर को दोबारा से खोलने और वहां की स्थिति सुधारने का प्रयास किया जा रहा है। जिला प्रशासन ने मंदिर की सफाई कराई और 15 दिसंबर को यहां विधिपूर्वक पूजा और मंत्रोच्चारण के बीच आरती का आयोजन किया।

यह घटना सांप्रदायिक सद्भाव की मिसाल है। प्रशासन इस मामले को बेहद संवेदनशीलता के साथ संभाल रहा है और क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।

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