झारखंड की सियासी जंग इस बार अलग ही रंग में है। हेमंत सोरेन की उम्र को लेकर बवाल मचा हुआ है! जी हां, राज्य के मुख्यमंत्री, जिन्होंने 2019 में चुनावी हलफनामे में अपनी उम्र 42 साल बताई थी, अब 2024 में वही उम्र 49 साल कैसे हो गई? क्या पांच साल में सात साल की बढ़ोतरी मुमकिन है? इस मुद्दे पर विपक्ष ने जोरदार हमला बोल दिया है।
बीजेपी की ओर से तो यह सवाल भी उठाए जा रहे हैं कि आखिर ऐसा कैसे हो सकता है! असम के मुख्यमंत्री और झारखंड प्रदेश बीजेपी के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने हेमंत के नामांकन पत्र पर कहा, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन का हलफनामा देखें तो उनकी उम्र दो साल बढ़ा दी गई है…जेएमएम जनता को धोखा देने वाली पार्टी है…उन्होंने जनता से झूठ बोलने के अलावा कुछ नहीं किया है।
आमतौर नए उम्मीदवारों की उम्र में फर्जीवाड़े की बातें सामने आती हैं, लेकिन यहां तो मुख्यमंत्री की ही उम्र में फर्जीवाड़े की बात सामने आई है। वह भी ऐसे मुख्यमंत्री, जिन्हें घोटाले के आरोप में अपना पद छोड़ना पड़ा था और जमानत मिलने के बाद वह दोबारा सीएम बने हैं। ऐसे में मतदान से पहले झारखंड में जमकर बवाल मचा हुआ है।
बवाल यहीं नहीं थमा। बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने तो सीधा-सीधा झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर हमला करते हुए कहा, ‘जेएमएम का मतलब है झोल, मुस्लिम तुष्टिकरण और माफिया!’ उनका कहना है कि जो सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हो, वह हलफनामे में भी फर्जीवाड़ा कर रही है।
हालांकि, हेमंत सोरेन के समर्थकों का कहना है कि सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद ही आवेदन स्वीकार किए जाते हैं। और चुनाव अधिकारी ने आवेदन स्वीकार कर लिया है। JMM पार्टी के नेताओं का कहना है की बीजेपी हर मुद्दे को राजनीति में घसीटने में माहिर है। वे विकास की बात नहीं करना चाहते। बीजेपी यहां विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ने से भाग रही है और हम पर आरोप लगाकर सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम हर हाल में जीतेंगे और सरकार बनाएंगे
हेमंत सोरेन ने इस बार साहेबगंज की बरहेट सीट से अपना नामांकन दाखिल किया है। वहीं बीजेपी ने गमालियल हेम्ब्रम पर दांव लगाया है। इस चुनाव में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस गठबंधन के साथ बीजेपी के बीच सीधा टकराव होने जा रहा है।
झारखंड विधानसभा चुनाव में 81 सीटों पर दो चरणों में मतदान होगा – 13 और 20 नवंबर को, और फिर 23 नवंबर को मतगणना। यह चुनाव न सिर्फ झारखंड की सियासत, बल्कि पूरे देश की राजनीति के लिए बेहद खास साबित हो सकता है। क्या यह बवाल हेमंत सोरेन की सियासत को झटका देगा, या जनता उन्हें फिर से सत्ता सौंपेगी?
देखना दिलचस्प होगा कि झारखंड की जनता इस चुनावी जंग में किसे जीत का ताज पहनाती है!