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लोकसभा चुनाव के बाद अब देश की सियासत में विधानसभा चुनाव को लेकर भी गर्माहट बढ़ रही है। इस बार चर्चा का मुख्य केंद्र हरियाणा और जम्मू-कश्मीर हैं। चुनाव आयोग ने आज दोनों राज्यों में चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है, जिससे राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।

हरियाणा में एक चरण में होगा चुनाव

हरियाणा में विधानसभा की कुल 90 सीटों के लिए चुनाव होंगे, जो एक ही चरण में निपट जाएगा। मतदान 1 अक्टूबर को होगा और इसके नतीजे 4 अक्टूबर को घोषित किए जाएंगे। पिछले 10 सालों से हरियाणा में बीजेपी की सरकार है। 2019 के चुनाव में बीजेपी ने 40 सीटें जीती थीं, जो बहुमत से 6 सीटें कम थीं। इसके बावजूद बीजेपी ने निर्दलीयों और जननायक जनता पार्टी (JJP) के साथ गठबंधन कर सरकार बनाई थी।

हरियाणा में चुनावी मुकाबला कड़ा हो सकता है क्योंकि राज्य की राजनीति में बदलाव की उम्मीदें जताई जा रही हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने बताया कि हरियाणा में कुल 2.01 करोड़ मतदाता हैं, जिसमें 1.06 करोड़ पुरुष और 0.95 करोड़ महिला मतदाता हैं। 90 निर्वाचन क्षेत्रों में से 73 सीटें सामान्य, 17 अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, जबकि अनुसूचित जनजाति के लिए कोई सीट नहीं है।

जम्मू-कश्मीर में 10 साल बाद चुनाव

जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव की अहमियत और भी बढ़ जाती है क्योंकि यहां 10 साल बाद चुनाव हो रहे हैं। आखिरी बार 2014 में यहां विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसके बाद महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में बीजेपी और पीडीपी का गठबंधन हुआ था। लेकिन 2018 में यह गठबंधन टूट गया और 2019 में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से राज्य में कोई चुनाव नहीं हुआ।

इस बार जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में चुनाव होंगे। पहले चरण का मतदान 18 सितंबर, दूसरे चरण का 25 सितंबर और तीसरे चरण का 1 अक्टूबर को होगा। इसके नतीजे भी 4 अक्टूबर को ही आएंगे। राज्य में नए परिसीमन के बाद 90 सीटों पर चुनाव होंगे, जिनमें से 47 सीटें कश्मीर संभाग और 43 सीटें जम्मू संभाग के अंतर्गत आती हैं। परिसीमन के बाद जम्मू-कश्मीर की कुल सीटें 114 हो गई हैं, जिनमें से 24 सीटें पाक-अधिकृत कश्मीर (PoK) में हैं।

डल झील पर खास मतदान केंद्र

इस बार चुनाव आयोग ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव को और खास बनाने का निर्णय लिया है। डल झील के बीच में तीन तैरते हुए मतदान केंद्र बनाए जाएंगे, जहां लोग शिकारा या नाव के जरिए पहुंच सकेंगे। यह अनोखा मतदान केंद्र चुनाव को और भी खास बना देगा। डल झील पर बने 70-खार मोहल्ला आबी करपोरा पुलिस चौकी में केवल तीन मतदाता हैं, फिर भी इसे खास बनाया जा रहा है ताकि लोग मतदान के महत्व को समझ सकें।

धारा 370 के बाद पहली बार चुनाव

जम्मू-कश्मीर में धारा 370 हटने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव होगा। इससे न केवल राज्य में, बल्कि पूरे देश में उत्साह है। चुनाव आयोग का यह कदम वोटिंग में लोगों की भागीदारी को बढ़ाने के लिए है। इस बार का चुनाव जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक हो सकता है।

चुनाव आयोग ने चुनाव को एक त्योहार की तरह मनाने की तैयारी की है और लोगों में वोटिंग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष प्रयास किए हैं। इस बार का चुनाव केवल राजनीतिक दलों के लिए ही नहीं, बल्कि आम जनता के लिए भी महत्वपूर्ण होने जा रहा है।

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