सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक वकील ने CJI बीआर गवई पर हमला करने की कोशिश की, जब वे अपनी बेंच में एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। वकील ने जूता फेंका, लेकिन यह बेंच तक नहीं पहुंच सका। सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत वकील को पकड़ लिया। बाहर जाते समय वकील ने नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान।”

घटना के बाद CJI ने अदालत में मौजूद वकीलों से कहा कि वे अपनी दलीलें जारी रखें और इस घटना से परेशान न हों। उन्होंने कहा, “मैं भी परेशान नहीं हूं, इन चीजों से मुझे फर्क नहीं पड़ता।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी CJI से बात कर हमले की कड़ी निंदा की। मोदी ने लिखा कि “CJI पर हुए हमले से हर भारतीय गुस्से में है। हमारे समाज में ऐसे निंदनीय कृत्यों के लिए कोई जगह नहीं है। यह अत्यंत निंदनीय है।”
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने आरोपी वकील राकेश किशोर कुमार का लाइसेंस रद्द कर दिया है। इसके साथ ही बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी उन्हें तुरंत निलंबित कर दिया। निलंबन के दौरान किशोर कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे और 15 दिनों में शो कॉज नोटिस भी जारी किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक, वकील CJI गवई की मध्य प्रदेश के खजुराहो में भगवान विष्णु की सिर कटी मूर्ति की पुनर्स्थापना पर टिप्पणी से नाराज था। CJI ने 16 सितंबर को इस याचिका को खारिज करते हुए कहा था, “जाओ और भगवान से खुद करने को कहो। तुम कहते हो भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हो, जाओ उनसे प्रार्थना करो।”

हालांकि, 72 वर्षीय किशोर को अपनी इस हरकत पर कोई पछतावा नहीं है। उन्होंने कहा कि वह जेल जाने के लिए भी तैयार हैं और उनका परिवार उनके इस कदम से बहुत नाराज है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनका किसी राजनीतिक दल से कोई संबंध नहीं है।
यह घटना सोमवार को सुबह लगभग 11:35 बजे सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम 1 में हुई। किशोर ने अचानक जूता फेंकने की कोशिश की, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत रोक लिया। उन्होंने अपने इस कदम के पीछे यह भी बताया कि उन्हें ‘दिव्य शक्ति’ ने प्रेरित किया।
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई पर हमले की यह कोशिश पूरे देश में चर्चा का विषय बनी है, और प्रधानमंत्री मोदी की निंदा के बाद राजनीतिक और कानूनी हलकों में भी गहरा असर पड़ा है।