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उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव से पहले कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच तनाव गहराता जा रहा है। सपा द्वारा गाजियाबाद और खैर की दो सीटें देने की पेशकश पर कांग्रेस ने असंतोष जाहिर किया है। कांग्रेस फूलपुर सीट पर भी अपनी दावेदारी ठोक रही है, लेकिन सपा ने वहां से मुस्तफा सिद्दीकी को फिर से मैदान में उतार दिया है।

पिछले चुनाव में महज़ 2000 वोटों से हारने वाले सिद्दीकी को फिर मौका देने से कांग्रेस खफा है और गांधी परिवार ने अखिलेश यादव से फूलपुर को लेकर सीधी बातचीत की है। सूत्रों के मुताबिक, श्रीनगर में उमर अब्दुल्ला के शपथ समारोह के दौरान प्रियंका और राहुल गांधी ने सीट बंटवारे पर अनौपचारिक चर्चा की थी, लेकिन अब तक कोई समझौता नहीं हो पाया है। उधर, अखिलेश यादव ने महाराष्ट्र में गठबंधन तय किए बिना ही अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार शुरू कर दिया है, जिससे कांग्रेस में और नाराज़गी बढ़ी है।

सपा ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस को दो से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है। कांग्रेस के नेता फिलहाल समाजवादी पार्टी के संपर्क में हैं और सीटों पर आखिरी फैसला जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रदेश की जिन 10 सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें पांच सीटें सपा के पास थीं, जबकि तीन बीजेपी और एक-एक सीट राष्ट्रीय लोकदल और निषाद पार्टी ने जीती थी। इन सीटों में मैनपुरी की करहल, कानपुर की सीसामऊ, प्रयागराज की फूलपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, मिर्जापुर की मझवां, अयोध्या की मिल्कीपुर, गाजियाबाद सदर, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट शामिल है।

13 नवंबर को 9 सीटों पर मतदान होगा, और नतीजों का ऐलान 23 नवंबर को किया जाएगा। हालांकि, अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर मतदान को लेकर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस और सपा में यह टकराव अंत तक बरकरार रहेगा, या आखिरी वक्त में दोनों पार्टियों के बीच कोई समझौता हो जाएगा? यूपी के इस चुनावी घमासान में फूलपुर सीट केंद्र में है, और अब देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस इस दावेदारी को कितना आगे ले जाती है।

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