मुरलीकांत पेटकर: पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता, जिन्होंने चंदू चैंपियन को प्रेरित किया
हाल ही मे कबीर खान की सर्वाधिक प्रतीक्षित फिल्म चंडू चैम्पीयन सिनेमाघरों मे रिलीज की गई । इस फिल्म मे कार्तिक आर्यन मुरलीकांत पेटकर मे है। इससे पहले भी कबीर ने “83” और “सुल्तान” जैसी हिट फिल्मों का निर्देशन किया था।
चंडू चैम्पीयन फिल्म पेरा ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता मुरलीकांत पेटकर की असल ज़िंदगी पर आधारित है. फिल्म मे मुरली की प्रेरणादायक उपलब्धियों को दर्शाया गया है। जब कबीर को सबसे पहले पेटकर के बारे मे पता चला तो उन्हे इसपर यकीन नहीं हुआ की ऐसा कुछ भी है। और तब उन्हे पेटकर को लेकर छानबीन शुरू किया।
मुरलीकांत पेटकर को लेकर क्या कहा कबीर ने?
कबीर बताते है की पहली बार जब वे मुरली से मिले तो उन्हे इस बात पर यकीन नहीं हुआ की उनके साथ ऐसा कुछ भी हुआ। तब कबीर ने मुरली की कहानी को बड़े परदे पर लाने का सोचा। कुछ पत्रकारों से बात करते हुए कबीर ने भारत के पहले पेरा ओलिंपिक गोल्ड मेडल विजेता से मिलने का अपना अनुभव सांझा किया। उन्होंने मुरली के साथ काफी सारा वक़्त बिताया। उस समय उन्होंने मुरली से उनके जीवन के अनुभवों के बारे मे बताया। भावनाओ मे बहे मुरली ने जो बताया उसपर बिश्वास करना काफी मुस्किल है।
कौन हैं मुरलीकांत पेटकर?
मुरलीकांत पेटकर का जन्म महाराष्ट्र के सांगली के पेठ इस्लामपुर मे 1 नवंबर 1944 को हुआ था. भारतीय आर्मी मे रहते हुए मुरली EME मे एक शिल्पकार यानि जवान थे. EME, Secunderabad, मे रहते हुए उन्होंने बॉक्सिंग को अपने खेल के रूप मे अपनाया।
1965 की ज़ंग मे उन्हे 9 गोलियां लगी जिसमे से एक गोली उनके पैर के अंदरूनी हिस्से तक पहुच गई। इससे वे चलने फिरने मे असमर्थ हो गए। मगर उनका हौसला नहीं टूटा। फिर उन्होंने Heidelberg पेरा ओलिंपिक्स मे स्विमिंग व अन्य खेलों मे हिस्सा लिया। और इस तरह भारत को अपना पहला पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता मिला।
यह पूरे देश के लिए गौरवमय क्षण था। मुरलीकांत ने 37.33 सेकंडस् मे 50 मिटर फ्रीस्टाइल स्विमिंग कर इतिहास रच दिया। केवल स्विमिंग ही नहीं बल्कि मुरलीकांत पेटकर ने और भी खेल खेले और उनमे पदक भी जीते। मुरलीकांत पेटसे के इस महान योगदान और राष्ट्र प्रेम को देखते हुए 2018 मे उन्हे राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द द्वारा पद्म श्री पुरस्कार से नवाज़ा गया।