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हमारी ज़िंदगी में कई बार ऐसी चीजें होती हैं, जिन पर हमारा ध्यान नहीं जाता। मिट्टी से बनी मूर्तियां भी ऐसी ही एक चीज़ हैं। ये सिर्फ मूर्तियां नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, संस्कृति और मेहनत का हिस्सा हैं।

मिट्टी से शुरुआत

मिट्टी की मूर्तियों का सफर गांव के खेतों या नदी किनारे से शुरू होता है। कलाकार खास मिट्टी का चुनाव करते हैं, जिसे साफ करके उसे मूर्ति बनाने लायक बनाया जाता है।

कला और मेहनत

मिट्टी की मूर्तियां बनाने के लिए कलाकार अपने हाथों से मेहनत करते हैं। हर मूर्ति में उनकी उंगलियों का जादू दिखता है। यह सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि उनका प्यार और साधना है। एक मूर्ति बनाने में घंटों, कभी-कभी हफ्तों लग जाते हैं।

पर्यावरण और संस्कृति का हिस्सा

आजकल प्लास्टिक और केमिकल से बनी मूर्तियां ज्यादा देखने को मिलती हैं। लेकिन ये पर्यावरण को नुकसान पहुंचाती हैं। मिट्टी की मूर्तियां न केवल प्राकृतिक होती हैं, बल्कि हमारी परंपरा को भी जिंदा रखती हैं।

मिट्टी की महक

हर मूर्ति एक कहानी कहती है। गणेश जी की मूर्ति हमें सुख-समृद्धि की याद दिलाती है, तो मिट्टी के खिलौने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं। इन कहानियों से हम अपनी जड़ों को महसूस कर सकते हैं।

मिट्टी को बचाएं

आइए, हम सब मिलकर इस कला को बढ़ावा दें। जब भी कोई मूर्ति खरीदें, मिट्टी की मूर्ति को चुनें। इससे न केवल कलाकारों को सहारा मिलेगा, बल्कि हमारी संस्कृति और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा।

मिट्टी की खुशबू हमारी पहचान है। इसे संजोना हमारा फर्ज है।

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