जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर, भगवान महावीर जी की जयन्ती जैन समाज द्वारा बड़ी श्रद्धा और धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान महावीर जी ने अपने जीवन में जो उपदेश दिए, वे आज भी हमें अपने जीवन को सही दिशा में चलाने की प्रेरणा प्रदान करते हैं। उनका जीवन और उनके उपदेश, जैसे अहिंसा, सत्य, शांति और परिग्रह का त्याग, हमारे समाज में एक अमूल्य धरोहर की तरह हैं। महावीर जयन्ती के इस पावन अवसर पर हमें उनके इन अमूल्य संदेशों को अपने जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।
भगवान महावीर जी का जीवन
भगवान महावीर का जन्म लगभग 599 ईसा पूर्व बिहार के वैशाली क्षेत्र के कुंडलपुर नामक स्थान पर हुआ था। उनका जन्म एक राजपरिवार में हुआ था, लेकिन जीवन के कुछ समय बाद उन्होंने राजमहल और वैभव का त्याग कर सन्यास लेने का निर्णय लिया। भगवान महावीर ने 12 वर्षों तक कठोर तपस्या की और अंततः उन्हें ‘जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्त होने’ का मार्ग प्राप्त हुआ, जिसे उन्होंने ‘निर्वाण’ का नाम दिया।
भगवान महावीर के उपदेश
भगवान महावीर के जीवन और उनके उपदेशों में मुख्य रूप से अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (संपत्ति का त्याग) का संदेश मिलता है।
- अहिंसा- भगवान महावीर जी ने अहिंसा को सर्वोत्तम धर्म माना। उन्होंने बताया कि किसी भी जीव को मानसिक, शारीरिक या वचन से चोट पहुँचाना हिंसा है। हमे अपने विचार और कार्यों में भी अहिंसा का पालन करना चाहिए।
- सत्य- भगवान महावीर ने सत्य बोलने को सर्वोत्तम कर्तव्य बताया। उनका कहना था कि सत्य बोलना न केवल समाज के लिए आवश्यक है, बल्कि यह आत्मा के शुद्धिकरण का भी मार्ग है।
- शांति- भगवान महावीर के अनुसार, शांति भीतर से उत्पन्न होती है और इसे बाहरी दुनिया से पाया नहीं जा सकता। शांति की प्राप्ति आत्म-निर्भरता और आत्म-अनुशासन से होती है।
- अपरिग्रह- भगवान महावीर ने निष्कलंक जीवन जीने के लिए अपारिग्रह (संपत्ति का त्याग) की बात की। उन्होंने कहा कि अत्यधिक संपत्ति और भोग-विलास से केवल दुःख और मानसिक तनाव उत्पन्न होते हैं।
महावीर जयन्ती का महत्व
महावीर जयन्ती जैन समाज के लिए एक खास अवसर है, जब वे भगवान महावीर के जीवन के आदर्शों और उपदेशों को पुनः याद करते हैं। यह दिन हमें अपनी जीवनशैली पर विचार करने और अपने आचरण को सुधारने का अवसर प्रदान करता है।
इस दिन जैन समाज के लोग उपवास रखते हैं, मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं, और भगवान महावीर के संदेशों का प्रचार-प्रसार करते हैं। इस दिन को मनाने का उद्देश्य न केवल जैन धर्म के अनुयायियों को अपने धर्म की ओर प्रेरित करना है, बल्कि पूरे समाज में अहिंसा, सत्य और शांति के महत्व को फैलाना है।
महावीर जयन्ती के अवसर पर संदेश
महावीर जयन्ती के इस पावन अवसर पर हमें भगवान महावीर जी के उपदेशों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लेना चाहिए। अगर हम उनके बताए मार्ग पर चलें, तो न केवल हमारा जीवन सुखमय होगा, बल्कि समाज में भी शांति और सामंजस्य बना रहेगा।
“अहिंसा परमोधर्म” (अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है) का यह संदेश हमें हर परिस्थिति में शांतिपूर्ण और सच्चे मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
महावीर जयन्ती की हार्दिक शुभकामनाएं!