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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 को लेकर सियासी हलचल तेज है। सभी की निगाहें इस सवाल पर टिकी हैं कि आखिर महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी?
एग्जिट पोल पर बहुत चर्चा हो रही है, लेकिन लेकिन पिछले कुछ सालों से एग्जिट पोल का आंकड़ा फेल होता रहा है, जिस पर काफी बवाल भी मचा
इसलिए हम आपको लेकर चलते हैं उन चार अहम आंकड़ों की ओर, जो चुनावी नतीजों की तस्वीर साफ कर सकते हैं।

पहला फैक्ट…

महाराष्ट्र की राजनीति में पॉकेट पार्टियां और निर्दलीय उम्मीदवार हमेशा से किंगमेकर की भूमिका में रहे हैं।

2019 के चुनाव में 13 निर्दलीयों ने जीत दर्ज की थी और 11 छोटी पार्टियों ने 14 सीटों पर कब्जा किया था। इस बार भी वंचित विकास अघाड़ी, एआईएमआईएम और बहुजन विकास अघाड़ी जैसी पार्टियां कुछ सीटों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती हैं।
साथ ही, निर्दलीय उम्मीदवारों पर सबकी नजर है। उदाहरण के तौर पर, सोलापुर दक्षिण में कांग्रेस नेता सुशील कुमार शिंदे ने एक निर्दलीय को समर्थन दिया है। अगर हंग असेंबली की स्थिति बनी, तो यही निर्दलीय और छोटी पार्टियां सरकार बनाने में अहम भूमिका निभा सकती हैं।

अब दूसरा फैक्ट…


विधानसभा चुनाव में जिस तरह का सियासी स्ट्रक्चर है। उसी तरह का गठबंधन लोकसभा चुनाव में भी था। इंडिया गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना- यूबीटी और एनसीपी-शरद जैसे दल शामिल थे तो दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन में बीजेपी, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजित साझेदार थी। प्रकाश अंबेडकर समेत कुछ छोटी पार्टियां अकेले ही मैदान में लड़ रही थी। लोकसभा चुनाव में एनडीए और महाविकास अघाड़ी का प्रदर्शन बहुत कुछ बता रहा है। बीजेपी को 83 सीटों पर बढ़त मिली थी, जबकि कांग्रेस को 63 और शिवसेना-यूबीटी को 56 सीटों पर।
लेकिन विधानसभा के समीकरण लोकसभा से अलग होते हैं। इस बार महाविकास अघाड़ी ने समाजवादी पार्टी और शेतकारी संगठन को भी साथ जोड़ा है। उधर, बीजेपी की बढ़त वाली सीटों पर बहुजन विकास अघाड़ी और प्रकाश अंबेडकर की पार्टी भी मजबूत दिख रही है।

अब चलते हैं तीसरे फैक्ट की ओर…


महाराष्ट्र की 65 सीटों पर सीधी लड़ाई कांग्रेस और बीजेपी के बीच है।
विदर्भ क्षेत्र की इन सीटों पर दोनों पार्टियां पूरी ताकत झोंक रही हैं। लोकसभा में कांग्रेस ने यहां बढ़त हासिल की थी, लेकिन इस बार आरएसएस भी बीजेपी के लिए मोर्चा संभाले हुए है।
जिस पार्टी को इन सीटों पर बढ़त मिलेगी, वो 145 के जादुई आंकड़े को छू सकती है।

और अब चौथा फैक्ट…


महाराष्ट्र की राजनीति गठबंधनों पर टिकी हुई है। 1995 से लेकर आज तक किसी भी पार्टी ने अकेले दम पर बहुमत हासिल नहीं किया।
1995 में शिवसेना-बीजेपी, 1999 में कांग्रेस-एनसीपी, और 2019 में महाविकास अघाड़ी गठबंधन ने सरकार बनाई।
इस बार भी बीजेपी ने शिंदे और अजित पवार के साथ गठबंधन किया है, जबकि दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन तीनों प्रमुख पार्टियों के साथ मजबूती से मैदान में है।

तो कुल मिलाकर, महाराष्ट्र की सत्ता का फैसला चार अहम फैक्टर्स पर टिका है— निर्दलीय और छोटी पार्टियों का प्रदर्शन, लोकसभा की बढ़त, 65 सीटों की सीधी लड़ाई और गठबंधनों की मजबूती।
अब देखना होगा कि 2024 में महाराष्ट्र की राजनीति किस करवट बैठती है।

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