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14 दिसंबर, मंकी डे के रूप में मनाया जाता है, जो बंदरों के प्रति जागरूकता फैलाने और उनकी सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित एक खास दिन है। इस दिन की शुरुआत 2000 में अमेरिकी आर्टिस्ट और कार्टूनिस्ट जेक थियोडोर द्वारा की गई थी। शुरुआत में उन्होंने इसे अपने दोस्तों के बीच मजाकिया अंदाज में मनाने की पहल की थी, लेकिन धीरे-धीरे यह एक प्रमुख वार्षिक उत्सव बन गया। मंकी डे का उद्देश्य बंदरों की महत्वपूर्ण भूमिका और उनकी प्रजातियों की सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर करना है।

मंकी डे का उद्देश्य


मंकी डे का मुख्य उद्देश्य बंदरों के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस दिन के माध्यम से लोग बंदरों की प्रजातियों, उनकी सुरक्षा और उनके पर्यावरण के प्रति संवेदनशील होते हैं। यह दिन उनकी समस्याओं और संरक्षण की आवश्यकता को उजागर करने का मौका देता है। मंकी डे के दौरान लोग बंदरों के बारे में जानकारी फैलाते हैं और उनकी संरक्षण को लेकर चर्चाएं करते हैं। यह दिन समाज को यह सिखाने का प्रयास करता है कि इन प्राणियों की सुरक्षा और उनके आवासीय क्षेत्रों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।

मंकी डे के दौरान की गतिविधियां


मंकी डे के दौरान लोग बंदरों से संबंधित विभिन्न गतिविधियां करते हैं। कुछ लोग इस दिन बंदर के रूप में ड्रेस अप करते हैं, जबकि कई लोग बंदरों के बारे में ज्ञान साझा करते हैं। विशेष स्थानों पर, जैसे चिड़ियाघरों में, विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जहां बंदरों के संरक्षण के बारे में जागरूकता फैलाने वाले खेल और गतिविधियां होती हैं। इस दिन में सोशल मीडिया भी अहम भूमिका निभाता है, जहां लोग बंदरों के मजेदार वीडियो और तस्वीरें पोस्ट करते हैं। यह दिन लोगों को बंदरों के प्रति सम्मान और उनकी उपस्थिति को बढ़ावा देने का अवसर देता है।

मंकी डे के साथ जुड़ी दिलचस्प बातें:


मंकी डे की उत्पत्ति भी एक मजाक के रूप में हुई थी, लेकिन अब यह एक महत्वपूर्ण और गंभीर आयोजन बन चुका है। इस दिन लोग बंदरों की नकल करते हुए हास्यपूर्ण रूप से उन्हें सम्मानित करते हैं। इसके अलावा, यह दिन सोशल मीडिया पर भी ट्रेंड करता है, जहां लोग बंदरों के प्यारे वीडियो और तस्वीरें साझा करते हैं। मंकी डे की इन गतिविधियों से लोगों का ध्यान इस महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर जाता है और वे इस दिशा में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित होते हैं।

भारत में बंदरों की बढ़ती आबादी और उनके लिए बढ़ते खतरे

भारत में जंगलों की लगातार कटाई और अन्य पर्यावरणीय कारणों से बंदरों का प्राकृतिक आवास लगातार कम हो रहा है, जिससे उन्हें मानव बस्तियों की ओर बढ़ने पर मजबूर होना पड़ता है। बंदरों का जीवन सघन और समृद्ध जंगलों में हुआ करता था, लेकिन अब वे अक्सर बिजली के खंभों, कंटीले तारों और जालों में फंस जाते हैं। इसके अतिरिक्त, इन्हें वाहन दुर्घटनाओं का भी सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार उनकी मौत हो जाती है। इस स्थिति से वे गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं और उनकी आबादी में कमी आती है। यह गंभीर समस्या बंदरों के संरक्षण और उनके प्राकृतिक आवासों की सुरक्षा की आवश्यकता को उजागर करती है।

मंकी डे के माध्यम से हम यह समझ सकते हैं कि बंदरों की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है और यह केवल मजाक के रूप में नहीं, बल्कि गंभीरता से लिया जाने वाला विषय है। इस दिन के माध्यम से हम एक दूसरे को बंदरों के महत्व और उनकी सुरक्षा की आवश्यकता के बारे में जागरूकता दे सकते हैं।

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