भारत में एक बार फिर जनगणना की तैयारी शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है और गृह मंत्री अमित शाह ने एलान किया है कि देश की अगली जनगणना 2027 में कराई जाएगी। कोरोना महामारी के कारण लंबे समय से टलती आ रही यह प्रक्रिया अब दो चरणों में पूरी की जाएगी। जनगणना सिर्फ आंकड़ों की गिनती नहीं होगी, बल्कि इसके बाद देश की राजनीति और सामाजिक ढांचे में कई बड़े बदलाव की नींव भी रखी जाएगी, जिसमें महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देना भी शामिल है।
भारत में अब जनगणना की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार ने जनगणना को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है और गृह मंत्री अमित शाह ने खुद इसकी आधिकारिक घोषणा की है कि भारत की अगली जनगणना वर्ष 2027 में कराई जाएगी। दरअसल, जनगणना हर 10 साल पर होनी चाहिए थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण यह प्रक्रिया टलती रही। अब गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत जो नोटिफिकेशन जारी किया है, उसमें साफ कर दिया गया है कि यह जनगणना दो चरणों में पूरी की जाएगी। पहला चरण एक अक्टूबर 2026 तक संपन्न होगा, जबकि दूसरा और अंतिम चरण एक मार्च 2027 तक चलेगा। यही एक मार्च 2027 की तारीख “रेफरेंस डेट” मानी जाएगी — यानी उस दिन देश में जितनी जनसंख्या होगी और समाज की जो भी स्थिति होगी, उसी आधार पर रिकॉर्ड तैयार किया जाएगा।
जनगणना की यह पूरी प्रक्रिया करीब 21 महीनों में पूरी की जाएगी। इसके बाद मार्च 2027 में प्रारंभिक आंकड़े जारी कर दिए जाएंगे, जिनमें यह बताया जाएगा कि देश में कितनी आबादी है और उसके बुनियादी सामाजिक आंकड़े क्या हैं। हालांकि, विस्तृत और वर्गीकृत जानकारी दिसंबर 2027 तक आएगी। इन आंकड़ों के आधार पर साल 2028 में देश की लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन शुरू किया जाएगा — यानी नए सिरे से सीटों का निर्धारण। इसी दौरान महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है। ऐसे में 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले ही महिला आरक्षण की तस्वीर पूरी तरह साफ हो सकती है।
यानी जनगणना सिर्फ आंकड़े गिनने की कवायद नहीं होगी, बल्कि इससे देश की राजनीति, प्रतिनिधित्व और सामाजिक ढांचे में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।