बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल यानी BTC के चुनावों में बड़ा उलटफेर हुआ है। बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट यानी BPF ने शानदार जीत हासिल की है। पूर्व प्रमुख हगरमा मोहिलारी की वापसी और जनता का भरोसा इस चुनाव की बड़ी खासियत रही।
बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (BTC) चुनावों में बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट (BPF) ने जबरदस्त जीत हासिल की है। पार्टी ने कुल 28 सीटें जीतकर चुनाव में पूरी तरह से बहुमत बनाया। वहीं, यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल (UPPL) को केवल 7 सीटें मिलीं और भारतीय जनता पार्टी (BJP) 5 सीटों पर संतुष्ट रही।
यह जीत पूर्व BTC प्रमुख हगरमा मोहिलारी की राजनीतिक वापसी का संकेत है। पिछले पांच सालों के निष्क्रिय दौर के बाद मोहिलारी ने फिर से बोडो राजनीति में अपने पैर जमा लिए हैं। बोडो क्षेत्र के लिए यह सिर्फ संख्या की लड़ाई नहीं है, बल्कि पहचान, स्वशासन और समुदाय के विश्वास का भी मजबूत संदेश है।
हालांकि मोहिलारी पर पहले भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, लेकिन उनके नेतृत्व को बोडोलैंड की स्वायत्तता बचाने वाला माना जाता है। उनके कार्यकाल के दौरान फैसले ज्यादातर BTC के अंदर ही लिए जाते थे और दिल्ली व दिसपुर से अनावश्यक दखल कम रहती थी। इसके उलट, UPPL के पिछले पांच सालों में ऐसा माना गया कि सत्ता का अधिकतर हिस्सा राज्य और केंद्र सरकारों को चला गया, जिससे स्थानीय बोडो लोगों में असंतोष बढ़ा।
मतदाताओं के निर्णय में सिर्फ राजनीति ही नहीं, बल्कि भूमि आवंटन और बाहरी लोगों के कब्जे का डर भी बड़ा कारण रहा। स्थानीय लोगों ने अपनी जमीन और पहचान को खतरे में देखा।
जहां UPPL ने विकास परियोजनाओं और BJP के साथ गठबंधन पर जोर दिया, वहीं मोहिलारी और BPF ने मतदाताओं के दिलों में जगह बनाई। उनका चुनाव अभियान गरिमा, स्वशासन और बोडोलैंड के गौरव की वापसी पर केंद्रित था। चुनावी सभाओं में मोहिलारी ने आत्मविश्वास के साथ 25 सीटों की जीत का अनुमान लगाया और मतदाताओं ने इसे सच कर दिखाया।
इस जीत ने साबित कर दिया कि बोडो जनता अब भी अपने पुराने नेताओं और उनकी नीतियों पर भरोसा करती है, और BPF के नेतृत्व में बोडोलैंड की स्वायत्तता और गौरव को पुनः स्थापित करने की उम्मीद रखती है।