इंडियन फिल्म इंडस्ट्री आज विश्व की सबसे बड़ी इंडस्ट्री मे शुमार है। हर साल यहा हजारों फिल्में बनती है। इनमे से कई फिल्में ऐसी है जो हमारे जहन मे एक गहरा छाप छोड़ जाती है। और इन फिल्मों मे काम करने वाले पात्र हमेशा के लिए अमर हो जाते है। फिर चाहे वो करन-अर्जुन के दुर्जन सिंह हो या शोले के गब्बर सिंह इन कलाकारों ने लोगों के दिलों मे एक अलग जगह बना ली है। आज भले ही यह सितारे हमारे बीच नहीं है मगर अपनी अदाकारी के चलते आज भी लोग इन्हे खूब याद करते है। एक ऐसे ही कलाकार है सनी देओल जिन्होंने अपनी फिल्मों से लोगों का दिल जीत लिया। आज भी सनी की फिल्में लोगों को खूब पसंद आती है। एक ऐसी ही फिल्म थी जेपी दत्त की बॉर्डर जिसमे इन्होंने ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का किरदार निभाया था।
कौन थे ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी?
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी एमवीसी, वीएसएम का जन्म 22 नवंबर 1940 को हुआ । वे एक सम्मानित सैन्य अधिकारी थे। वह एनसीसी के एक सक्रिय सदस्य थे और 1962 में सरकारी कॉलेज, होशियारपुर से स्नातक होने पर उन्होंने एनसीसी परीक्षा उत्तीर्ण की। चांदपुरी अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी थे जिन्होंने भारतीय सेना में अधिकारी के रूप में सेवा की है। उनके दोनों छोटे चाचा भारतीय वायु सेना में फ्लाइंग ऑफिसर थे। चांदपुरी अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। उन्हें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान लोंगेवाला की लड़ाई में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है। इसके लिए उन्हें भारत सरकार द्वारा दूसरे सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान, महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। 1997 की हिंदी फिल्म बॉर्डर लोंगेवाला युद्ध पर आधारित थी, जिसमें उनकी भूमिका सनी देओल ने निभाई थी।वह 2006 से 2011 तक चंडीगढ़ नगर निगम में पार्षद थे। उनकी मृत्यु 17 नवंबर 2018 को हुई।
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह चांदपुरी का करियर
1963 में, चांदपुरी को ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी, चेन्नई से तीसरी बटालियन, पंजाब रेजिमेंट में नियुक्त किया गया था, जो भारतीय सेना की सबसे पुरानी और सबसे उच्च सुशोभित रेजिमेंटों में से एक है। उन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पश्चिमी क्षेत्र में भाग लिया। युद्ध के बाद, उन्होंने एक वर्ष तक गाजा में संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन बल में सेवा की। उन्होंने मध्य प्रदेश के महू में प्रतिष्ठित इन्फैंट्री स्कूल में दो बार प्रशिक्षक के रूप में भी काम किया।
लोंगेवाला की लड़ाई और चांदपुरी की हिस्सेदारी
1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की शुरुआत में पाकिस्तानी सेना ने भारत के राजस्थान में लोंगेवाला पोस्ट पर हमला किया था। तब कुलदीप सिंह चांदपुरी 23 पंजाब के मेजर थे। चांदपुरी ने 120 सैनिकों की अपनी कंपनी और बीएसएफ की एक छोटी टुकड़ी के साथ पोस्ट की रक्षा की थी। काफी बाधाओं के बावजूद, 22वीं बख्तरबंद रेजिमेंट द्वारा समर्थित पाकिस्तानी 51वीं इन्फैंट्री ब्रिगेड की 2000-3000 मजबूत आक्रमण सेना के खिलाफ चांदपुरी और उनकी कंपनी ने पूरी रात पाकिस्तानियों को तब तक रोके रखा जब तक कि सुबह भारतीय वायु सेना हवाई सहायता प्रदान करने के लिए नहीं आ गई।चांदपुरी ने अपने लोगों को एक बंकर से दूसरे बंकर में जाने के लिए प्रेरित किया, और उन्हें अतिरिक्त सैन्य सहायता आने तक दुश्मन को हराने के लिए प्रोत्साहित किया। चांदपुरी और उनके लोगों ने दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया और उन्हें बारह टैंक छोड़कर पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया। उनकी विशिष्ट वीरता और नेतृत्व के लिए, चांदपुरी को भारत सरकार द्वारा महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। चांदपुरी सेना से ब्रिगेडियर के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।