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बिहार में बीजेपी का नया दांव! दिल्ली मॉडल के जरिए गरीबों और जातीय समीकरणों पर फोकस, क्या मिलेगा जीत का मंत्र?

साल के अंत में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में बीजेपी अभी से जुट गई है। पार्टी ने तय किया है कि दिल्ली जीत का मॉडल अब बिहार में लागू होगा।

बीजेपी को दिल्ली में कैसे मिली जीत?

दिल्ली में बीजेपी की जीत की एक बड़ी वजह थी झुग्गीवासियों और गरीबों का समर्थन। पार्टी का मानना है कि जिस तरह से बीजेपी नेताओं ने चुनाव से पहले झुग्गीवासियों के बीच समय बिताया, उनके साथ रात्रि प्रवास किया, उनके मुद्दों को सुना और भरोसा जीता… वही रणनीति अब बिहार में भी अपनाई जाएगी।

क्या है बिहार चुनाव का प्लान?


बिहार में बीजेपी का फोकस सोशल इंजीनियरिंग पर रहेगा! पार्टी ने अलग-अलग जातियों के नेताओं को मंत्री बनाया है, जो अब अपने समाज के बीच जाएंगे।
बिना किसी ताम-झाम के, बिना किसी प्रोटोकॉल के, हर मंत्री अपने समाज के लोगों से अनौपचारिक बातचीत करेगा, सरकार के काम बताए जाएंगे, समस्याएं सुनी जाएंगी, रात्रि प्रवास किया जाएगा छोटे-छोटे सम्मेलन और टिफिन बैठकें आयोजित होंगी।
बीजेपी की रणनीति अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, नीतीश कुमार के चेहरे पर ही चुनाव लड़ा जाएगा। हर विधानसभा सीट पर सर्वे जारी है सर्वे के आधार पर ही सीटों का बंटवारा होगा, कैबिनेट में कितने मंत्री होंगे, यह भी सर्वे से तय होगा।

NDA में कौन-कौन?

बीजेपी: 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है,
जेडीयू: 90-95 सीटों पर लड़ सकती है!
लोजपा, उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी को बाकी सीटें!


तो क्या दिल्ली मॉडल बिहार में कारगर होगा? क्या बीजेपी का ये मास्टरस्ट्रोक उसे जीत दिला पाएगा? अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता इस रणनीति को कैसे लेती है।

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