बांग्लादेश से बड़ी खबर है… मयमनसिंह जिले में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी और उसके शव को पेड़ से बांधकर आग लगा दी। घटना के समय भीड़ धार्मिक नारे लगा रही थी।
इस हमले को लेकर हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय में चिंता बढ़ गई है, और प्रशासन ने सात आरोपियों को गिरफ्तार कर मामले की गहन जांच शुरू कर दी है।

बांग्लादेश में एक बेहद डरावनी और दुखद घटना सामने आई है। मयमनसिंह जिले में एक हिंदू युवक दीपू चंद्र दास को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और फिर उसकी लाश को भरे बाज़ार में पेड़ से बांधकर आग लगा दी। बताया जा रहा है कि हत्या के दौरान भीड़ ‘अल्लाह-हू-अकबर’ के नारे लगा रही थी। घटना उस समय हुई जब विश्व अरबी भाषा दिवस के अवसर पर एक कार्यक्रम में दीपू पर इस्लाम और पैगंबर मोहम्मद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा।
इस घटना के बाद इलाके में भय और दहशत फैल गई। स्थानीय लोगों ने बताया कि गुस्साई भीड़ ने दीपू को मारने के बाद उसके शव को रस्सी से पेड़ से बांध दिया और अलग-अलग तरह के नारे लगाते हुए आग लगा दी। इस जघन्य घटना ने एक बार फिर बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस हत्या की कड़ी निंदा की है और स्पष्ट किया है कि नए बांग्लादेश में इस तरह की हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है। सरकार ने वादा किया है कि इस अपराध में शामिल लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस ने अब तक सात आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ जारी है।
भारत ने इस घटना को बहुत गंभीर माना है और कहा है कि ऐसे जघन्य अपराध न केवल समाज के लिए खतरा हैं, बल्कि हिन्दू समुदायों के लिए भी चुनौती हैं।
बांग्लादेश में यह कोई पहली घटना नहीं है। हिंदू समुदाय के लोग लगातार धार्मिक और राजनीतिक तनाव में फंस रहे हैं। मंदिरों, निजी संपत्ति और व्यक्तियों पर हमले, अपहरण और हत्या जैसी घटनाएं समय-समय पर सामने आती रही हैं। ऐसा दिखाता है कि हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय पर सुरक्षा की चुनौतियां लगातार बनी हुई हैं।
यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय को बांग्लादेश में सुरक्षा, सम्मान और कानूनी संरक्षण की सख्त जरूरत है।