प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार सुबह पूरे 7 साल बाद चीन का दौरा किया और तिआनजिन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से द्विपक्षीय वार्ता की। यह मुलाक़ात करीब 40 मिनट तक चली और इसे दोनों देशों के रिश्तों में एक बड़ा मोड़ माना जा रहा है।
पीएम मोदी की बातें
बैठक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर आगे बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों के बीच बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर सहमति बनी है। साथ ही कई अहम फैसले लिए गए, जिनका सीधा असर दोनों देशों के करोड़ों लोगों पर पड़ेगा।
मोदी ने कहा कि हमारे सहयोग से 2.8 अरब से ज़्यादा लोगों के हित जुड़े हैं। यह सिर्फ भारत और चीन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे मानव समाज के कल्याण का मार्ग भी प्रशस्त करेगा।
चीन की प्रतिक्रिया
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने भी इस मुलाक़ात को सकारात्मक बताया और कहा कि उन्हें पीएम मोदी से मिलकर खुशी हुई। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों देश मिलकर अपने रिश्तों को नई दिशा देंगे।
बैठक से निकले बड़े फैसले
इस द्विपक्षीय वार्ता से कई अहम नतीजे सामने आए हैं—
- सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने पर सहमति।
- बॉर्डर मैनेजमेंट को लेकर समझौता।
- कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला।
- दोनों देशों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट्स दोबारा शुरू होंगी।
- रिश्ते आपसी विश्वास, सम्मान और संवेदनशीलता के आधार पर आगे बढ़ेंगे।
क्यों है यह मुलाक़ात अहम?
पीएम मोदी पूरे 7 साल बाद चीन गए हैं। साल 2020 में गलवान घाटी की झड़प के बाद भारत और चीन के रिश्तों में भारी तनाव आ गया था। सीमाई विवाद और राजनीतिक मतभेदों के चलते दोनों देशों के बीच संवाद लगभग ठप हो गया था। लेकिन हाल के महीनों में धीरे-धीरे रिश्तों को पटरी पर लाने की कोशिशें हो रही हैं।
निष्कर्ष
मोदी-जिनपिंग की यह मुलाक़ात इस बात का संकेत देती है कि भारत और चीन रिश्तों में नया अध्याय खोलने के लिए तैयार हैं। हालांकि, सीमा विवाद और आपसी अविश्वास जैसे मुद्दे अब भी चुनौती बने हुए हैं। आने वाले समय में यह देखना अहम होगा कि इस वार्ता से निकले फैसले जमीनी स्तर पर कितनी जल्दी और कितनी मज़बूती से लागू होते हैं।