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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान जुलाई 2025 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की अध्यक्षता करेगा। पाकिस्तान वर्तमान में 2025-26 के कार्यकाल के लिए सुरक्षा परिषद का अस्थायी (गैर-स्थायी) सदस्य है और इसी कार्यकाल के दौरान उसे एक महीने के लिए अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा। इस दौरान पाकिस्तान को सुरक्षा परिषद की सभी बैठकों की अध्यक्षता और एजेंडा तय करने का अधिकार मिलेगा।

इस खबर ने भारत में चिंता बढ़ा दी है कि पाकिस्तान इस वैश्विक मंच का इस्तेमाल भारत के खिलाफ माहौल बनाने के लिए कर सकता है। खासतौर पर भारतीय सेना द्वारा हाल ही में किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद यह आशंका और गहरी हो गई है। इस ऑपरेशन का मकसद पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) और पाकिस्तान के पंजाब में मौजूद आतंकवादी ढांचे को खत्म करना था। पाकिस्तान की तरफ से पहले भी PoK को लेकर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर बयानबाजी होती रही है, लेकिन UNSC की अध्यक्षता मिलने पर उसे इस मुद्दे को और ज्यादा उछालने का मौका मिल सकता है।

कहा जा रहा है कि पाकिस्तान इस एक महीने के कार्यकाल में सुरक्षा परिषद में भारत के खिलाफ प्रस्ताव ला सकता है या किसी ऐसे कार्यक्रम का आयोजन कर सकता है जिसमें PoK के नागरिकों को शामिल कर यह दावा कराया जा सकता है कि भारतीय कार्रवाई से उन्हें नुकसान हुआ है। हालांकि, भारत इन आरोपों को पूरी तरह से बेबुनियाद और पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का हिस्सा मानता है।

भारत सरकार पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि PoK भारत का अभिन्न हिस्सा है और वहां की आतंकी गतिविधियों को समाप्त करने के लिए सेना की कार्रवाई पूरी तरह वैध है। इसके अलावा भारत अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी पाकिस्तान के इस तरह के दावों का मजबूती से जवाब देता रहा है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि पाकिस्तान जुलाई में UNSC की अध्यक्षता के दौरान किस तरह की रणनीति अपनाता है और भारत इसके जवाब में कैसे अपनी स्थिति मजबूत करता है।
क्या पाकिस्तान UNSC की अध्यक्षता का इस्तेमाल भारत के खिलाफ करेगा? या फिर यह एक औपचारिक जिम्मेदारी तक ही सीमित रहेगा? इन सवालों का जवाब आने वाले समय में सामने आएगा।

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