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हिंदू धर्म में दुर्गा पूजा का विशेष महत्व है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानी जाती है। यह त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है और हर साल लाखों लोग मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में हम जानेंगे कि दुर्गा पूजा 2024 में कब होगी और मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से क्या लाभ मिलते हैं।

दुर्गा पूजा 2024 कब है?

दुर्गा पूजा आश्विन माह में आती है और इस साल 2 अक्तूबर 2024 से महालय की शुरुआत होगी। इसके बाद 3 अक्तूबर से दुर्गा पूजा आरंभ होगी और 12 अक्तूबर को विजयादशमी के साथ इसका समापन होगा। इस अवधि में विशेष रूप से षष्ठी से लेकर दशमी तक के दिनों का महत्व होता है।

महालय 2024 कब है?

महालय का दिन बहुत खास माना जाता है, क्योंकि इस दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर आती हैं। इस वर्ष महालय 2 अक्तूबर 2024 को होगा। इसे सर्व पितृ अमावस्या या महालया अमावस्या भी कहा जाता है, जो पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है।

दुर्गा पूजा 2024 का कैलेंडर

महालय: 2 अक्तूबर 2024

महापंचमी: 8 अक्तूबर 2024

महाषष्ठी: 9 अक्तूबर 2024

महा सप्तमी: 10 अक्तूबर 2024

महाअष्टमी: 11 अक्तूबर 2024

महानवमी : 12 अक्तूबर 2024

विजयादशमी: 13 अक्तूबर 2024

दुर्गा पूजा का महत्व

दुर्गा पूजा सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह नारी शक्ति और न्याय की जीत का प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था, जो अन्याय और बुराई का प्रतीक था। दुर्गा पूजा के दौरान देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जो हर दिन एक नई शक्ति और आशीर्वाद का प्रतीक हैं।

मां दुर्गा के नौ रूप और उनके लाभ

  1. शैलपुत्री

शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजा जाती हैं। इनकी पूजा से भक्तों को धन-धान्य की प्राप्ति होती है और जीवन में स्थिरता आती है।

2. ब्रह्मचारिणी

दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। यह रूप संयम, तप और साधना का प्रतीक है और साधकों को शक्ति और फल प्रदान करता है।

3. चंद्रघंटा

मां चंद्रघंटा की पूजा तीसरे दिन होती है। यह रूप शांति और वीरता का प्रतीक है, जिससे पापों से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है।

4. कुष्मांडा

चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। इनकी पूजा से रोगों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

5. स्कंदमाता

पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा होती है। यह रूप भक्तों की इच्छाओं को पूरा करने और उन्हें मोक्ष का मार्ग दिखाने वाला है।

6. कात्यायनी

छठे दिन कात्यायनी की पूजा की जाती है। इनकी उपासना से साधक में अद्भुत शक्ति का संचार होता है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।

7. कालरात्रि

सप्तमी के दिन कालरात्रि की पूजा होती है। यह रूप शत्रुओं का नाश करने वाला है और भक्तों को भय और पापों से मुक्त करता है।

8. महागौरी

अष्टमी के दिन महागौरी की पूजा होती है। यह रूप पापों का नाश करने और चेहरे की चमक बढ़ाने वाला है।

9. सिद्धिदात्री

नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। यह रूप भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों और आशीर्वाद प्रदान करता है।

    दुर्गा पूजा एक ऐसा पर्व है, जो न केवल धार्मिक आस्था को मजबूत करता है, बल्कि यह नारी शक्ति, आत्मविश्वास, और सकारात्मकता का संदेश भी देता है। हर साल इस त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और मां दुर्गा के आशीर्वाद से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का अनुभव होता है।

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