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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक बड़ा राजनीतिक ऐलान कर देशभर में हलचल मचा दी है। उन्होंने घोषणा की है कि वह दो दिन बाद अपने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे। यह ऐलान उन्होंने आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए किया। इस दौरान उन्होंने केंद्र सरकार पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाने का आरोप भी लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि अब उनकी अग्निपरीक्षा होगी, जिसमें जनता ही फैसला करेगी कि वह ईमानदार हैं या नहीं।

इस्तीफा देने का कारण

केजरीवाल ने कहा कि केंद्र सरकार ने उन पर और मनीष सिसोदिया पर भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए हैं। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वह इन आरोपों के चलते इस्तीफा देने का फैसला कर रहे हैं, लेकिन उनके इस्तीफे के बाद भी मनीष सिसोदिया मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे। इसके बजाय आम आदमी पार्टी के विधायक दल द्वारा नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा।

केजरीवाल का कहना है कि वह राजनीति में ईमानदारी के साथ काम करने के लिए आए थे, और अब वह जनता के फैसले का इंतजार करेंगे। उन्होंने ऐलान किया कि जब तक जनता उन्हें ईमानदारी का प्रमाणपत्र नहीं देगी, वह मुख्यमंत्री पद पर वापस नहीं आएंगे।

भगवान राम और अग्निपरीक्षा का जिक्र

अपने भाषण में केजरीवाल ने भगवान राम और माता सीता की अग्निपरीक्षा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब भगवान राम 14 साल बाद वनवास से लौटे थे, तब माता सीता को भी अग्निपरीक्षा देनी पड़ी थी। उसी तरह, अब वह भी जनता के सामने अग्निपरीक्षा के लिए तैयार हैं। उनका यह बयान साफ दर्शाता है कि वह अपनी राजनीतिक छवि और ईमानदारी को जनता के सामने रखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।

भाजपा पर आरोप

केजरीवाल ने भाजपा पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि उन्हें भ्रष्टाचार के लिए नहीं, बल्कि पार्टी और सरकार तोड़ने के लिए जेल भेजा गया था। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ईडी और सीबीआई का दुरुपयोग कर उन्हें डराने की कोशिश की। उन्होंने महाराष्ट्र का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भी भाजपा ने दो पार्टियों को तोड़ा और अब दिल्ली में भी यही फॉर्मूला अपना रही है।
केजरीवाल ने यह भी कहा कि भाजपा भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाकर मुख्यमंत्री को जेल में डालने का फॉर्मूला अपना रही है, जहां वे चुनाव हार रहे हैं। उन्होंने साफ कहा कि वह न केवल जेल से बाहर आने के बाद मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़ेंगे, बल्कि जनता के वोट से ही वापस आएंगे।

आगामी चुनाव और इस्तीफे के बाद की स्थिति

केजरीवाल ने अपने इस्तीफे के साथ ही समय से पहले चुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने वाले हैं, लेकिन उन्होंने नवंबर में महाराष्ट्र चुनाव के साथ दिल्ली में चुनाव कराने की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने स्पष्ट किया कि वह और मनीष सिसोदिया तब तक मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री नहीं बनेंगे, जब तक जनता उन्हें ईमानदार नहीं मानेगी और वोट नहीं देगी।
उन्होंने यह भी बताया कि आम आदमी पार्टी के विधायकों की बैठक अगले दो-तीन दिन में होगी, जिसमें नया मुख्यमंत्री चुना जाएगा।
हालांकि, इस पर अब चुनाव आयोग ने सफाई दी है।
सूत्रों के अनुसार, चुनाव आयोग का कहना है कि फिलहाल, दिल्ली में चुनाव समय से पहले कराने की संभावना नहीं है. क्योंकि, इतने कम समय में समय से पहले विधानसभा चुनाव कराना संभव नहीं है।

जेल में बिताए समय का जिक्र

केजरीवाल ने जेल में बिताए अपने समय का जिक्र करते हुए कहा कि उन्हें वहां भगत सिंह की डायरी, गीता और रामायण पढ़ने का मौका मिला। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जेल से LG को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में आतिशी को तिरंगा फहराने की बात कही थी, लेकिन वह चिट्ठी नहीं पहुंचाई गई।

कौन बनेगा मुख्यमंत्री?

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे के ऐलान के बाद अब इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा। मुख्यमंत्री पद की दौड़ में आम आदमी पार्टी की दो प्रमुख नेताओं का नाम सबसे आगे माना जा रहा है— आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज। हालांकि, केजरीवाल के हालिया भाषण को सुनने के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आतिशी मार्लेना को मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी जा सकती है।

केजरीवाल ने अपने संबोधन में इस बात का जिक्र किया कि उन्होंने जेल से एक चिट्ठी लिखी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनकी अनुपस्थिति में आतिशी को तिरंगा फहराने का मौका दिया जाना चाहिए। इस बयान के बाद यह साफ हो गया कि आतिशी केजरीवाल के उत्तराधिकारी के रूप में उभर सकती हैं।

इस बीच, खबर यह भी है कि मंगलवार को इस्तीफा देने के बाद अरविंद केजरीवाल अगले 15 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री आवास भी छोड़ देंगे। यह संकेत करता है कि आम आदमी पार्टी जल्द ही नए मुख्यमंत्री का चुनाव कर सकती है, और पार्टी के अंदर आतिशी का नाम सबसे प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा है।

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