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Northeast India's First Multilingual Foremost Media Network

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भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव की लहर अब कूटनीति की सीमाओं से निकलकर टूरिज़्म तक पहुंच चुकी है। तुर्किए और अजरबैजान के पाकिस्तान-समर्थक रवैये ने भारत में एक नई बहस छेड़ दी है। नतीजा – भारत की ट्रैवल इंडस्ट्री ने इन दोनों देशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। सोशल मीडिया पर बहिष्कार की लहर है और टूर ऑपरेटर्स ने साफ कर दिया है कि अब राष्ट्रहित पहले है।

भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव का असर अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी दिखने लगा है। तुर्किए और अजरबैजान ने खुले तौर पर पाकिस्तान का समर्थन कर भारत की नाराज़गी मोल ले ली है। इन दोनों देशों की पाकिस्तान-समर्थक टिप्पणियों और रुख से भारत में जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है। खासकर देश की टूर एंड ट्रैवल इंडस्ट्री ने अब बड़ा कदम उठाया है। भारत की कई बड़ी ट्रैवल एजेंसियों ने तुर्किए और अजरबैजान के टूर पैकेज बेचने से साफ इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं, इन गंतव्यों का प्रचार-प्रसार भी रोक दिया गया है। सोशल मीडिया पर भी #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। आम नागरिकों से लेकर टूरिज्म एक्सपर्ट्स तक—हर कोई अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है। तुर्किए और अजरबैजान लंबे समय से भारतीय पर्यटकों के पसंदीदा डेस्टिनेशन रहे हैं। तुर्किए खास तौर पर अपनी ऐतिहासिक धरोहर और खूबसूरत नजारों के लिए मशहूर है, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। इस बहिष्कार का सीधा असर इन देशों की टूरिज्म इंडस्ट्री पर पड़ सकता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत का यह रुख लंबे समय तक जारी रहा, तो तुर्किए और अजरबैजान को पर्यटन क्षेत्र में बड़ा आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है। उधर, भारतीय पर्यटक अब दुबई, मालदीव, श्रीलंका और यूरोप जैसे अन्य विकल्पों की ओर रुख कर रहे हैं। ये साफ दिख रहा है कि भारत-पाक तनाव की कूटनीतिक गूंज अब सीधे पर्यटन तक पहुंच चुकी है। बढ़ते राष्ट्रवाद और सोशल मीडिया की ताकत ने ये साबित कर दिया है कि विदेश नीति और पर्यटन अब एक-दूसरे से अलग नहीं रह गए। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह बहिष्कार कितना असर करता है… और तुर्किए और अजरबैजान की तरफ से इसका क्या जवाब आता है।

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