केंद्र सरकार ने अब साफ कर दिया है कि देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इस ऐलान के बाद अब बात होने लगी है कि जनगणना में सिर्फ जाति का कॉलम होगा या उपजाति और गोत्र के लिए भी कोई कॉलम होगा। लोग जानना चाहते हैं कि जनगणना में किन-किन बातों की जानकारी ली जाएगी।
अब यह जानकारी सामने आई है कि इस बार जनगणना में धर्म के साथ-साथ जाति का भी कॉलम होगा। यह सभी लोगों के लिए होगा। सूत्रों के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय में भी कई जातियां हैं और इस बार जनगणना में उनकी भी जानकारी ली जाएगी।
सूत्रों ने यह भी बताया है कि मुस्लिम आरक्षण से जुड़ी कोई भी मांग सरकार नहीं मानेगी। इसकी वजह ये बताई जा रही है कि धर्म के आधार पर आरक्षण की इजाजत नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, जनगणना का काम अगले दो से तीन महीने के भीतर शुरू हो जाएगा। इसके लिए सरकार अधिकारियों को डेपुटेशन पर तैनात करने की तैयारी कर रही है।
जनगणना से जुड़ी बाकी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पंद्रह दिन में जनगणना का काम पूरा कर लिया जाएगा। इस बार जनगणना डिजिटल तरीके से भी होगी। इसमें आधार, बायोमेट्रिक और एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाएगा।
हालांकि जनगणना के आंकड़ों को समझने और उनकी रिपोर्ट तैयार करने में एक-दो साल लग सकते हैं। जब यह काम पूरा होगा, तब इसका पूरा डेटा एक रिपोर्ट की तरह पेश किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि सरकार का लक्ष्य है कि 2029 का लोकसभा चुनाव महिला आरक्षण के साथ हो। इसके लिए परिसीमन जरूरी है और परिसीमन के लिए जनगणना के आंकड़े होना जरूरी है।
अगले साल तक जनगणना का काम पूरा होने के बाद परिसीमन का काम शुरू होगा। परिसीमन के लिए आयोग बनेगा और यह आयोग राज्यों का दौरा कर रिपोर्ट बनाएगा।
सूत्रों के मुताबिक, अगर ओबीसी की संख्या बढ़ती है, तो सरकारी नौकरियों और कॉलेजों में दाखिले के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सीमा बढ़ाने पर विचार हो सकता है।
लेकिन निजी क्षेत्र में आरक्षण को लेकर सरकार कोई कदम उठाने के मूड में नहीं दिख रही है। जब डॉक्टर मनमोहन सिंह के समय में यह मांग उठी थी, तब प्राइवेट सेक्टर ने इसका विरोध किया था।