अफगानिस्तान की राजधानी काबुल गुरुवार रात अचानक धमाकों की गूंज से हिल उठी। स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने काबुल में तालिबान-समर्थित पाकिस्तानियों (TTP) के कैंपों को निशाना बनाकर एयर स्ट्राइक की।

यह हमला उस समय हुआ जब अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी भारत के अपने पहले उच्च-स्तरीय दौरे पर हैं। ये साफ संकेत देता है कि पाकिस्तान, भारत और अफगानिस्तान की बढ़ती कूटनीतिक नजदीकियों से नाराज़ है।
तालिबान और पाकिस्तान के संबंधों में यह घटनाक्रम एक तनावपूर्ण दौर में आया है। लंबे समय से पाकिस्तान पर आरोप है कि वह अफगानिस्तान में TTP को वित्तीय और सैन्य समर्थन दे रहा है। स्थानीय रिपोर्टों के मुताबिक, शाहिद अब्दुल हक चौक के पास हुए इस हवाई हमले का मुख्य उद्देश्य TTP प्रमुख नूर वली मेहसूद को निशाना बनाना था। मेहसूद ने हालांकि एक ऑडियो संदेश जारी कर कहा कि वे सुरक्षित हैं और उनकी मौत या गायब होने की खबरें गलत हैं।
नूर वली मेहसूद ने 9/11 हमलों के बाद पाकिस्तान के अमेरिका के साथ गठबंधन को विश्वासघात माना था और वह अब भी इस्लामाबाद के लिए गंभीर चुनौती बने हुए हैं। TTP ने हाल के वर्षों में कई बार पाकिस्तान में सैन्य कर्मियों पर हमले किए हैं। 8 अक्टूबर को हुए हालिया हमले में अफगान सीमा के पास 11 पाकिस्तानी सैनिक, जिनमें दो वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, मारे गए थे। यह हमला पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की चेतावनी के सिर्फ़ 24 घंटे बाद हुआ। उन्होंने नेशनल असेंबली में साफ कहा था कि पाकिस्तान का धैर्य खत्म हो चुका है, क्योंकि आतंकवादी लगातार अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल कर पाकिस्तानी धरती को निशाना बना रहे हैं।
विशेष रूप से इस हमले का समय पाकिस्तान ने काबुल में इसलिए चुना, ताकि तालिबान और भारत दोनों को संदेश दिया जा सके। इस बीच, विदेश मंत्री आमीर खान मुत्तकी भारत में अपने 7 दिन के दौरे पर हैं। पाकिस्तान ने इस्लामाबाद और रावलपिंडी में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी है, जिससे वहां की सुरक्षा स्थिति और भी संवेदनशील हो गई है।