आशा भोसले का नाम भारतीय संगीत जगत में एक ऐसी हस्ती है, जो किसी परिचय की मोहताज नहीं है। वह 91 साल की हो गई हैं, लेकिन उनकी आवाज़ का जादू अभी भी लोगों के दिलों में बसा हुआ है। आशा भोसले का जन्म 8 सितंबर 1933 को महाराष्ट्र के सांगली में हुआ था। उनके पिता, दीनानाथ मंगेशकर, एक प्रसिद्ध थिएटर कलाकार और गायक थे। संगीत का यह माहौल बचपन से ही आशा जी के जीवन का हिस्सा रहा। वह महान गायिका लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं, जिन्हें लोग ‘स्वर कोकिला’ के नाम से जानते हैं।
उन्होंने ने अपने करियर की शुरुआत बहुत ही छोटी उम्र में कर दी थी। महज 10 साल की उम्र में उन्होंने मराठी फिल्मों में गाना गाना शुरू किया। 16 साल की उम्र में उन्होंने हिंदी फिल्मों में गाना गाया, और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके शुरुआती गानों में ‘रात की रानी’ फिल्म का गाना खास था, जो साल 1948 में आया। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक सुपरहिट गाने दिए और खुद को हर तरह के संगीत में ढाला। चाहे वह रोमांटिक गाने हों, कैबरे सॉन्ग हो, गजल हो, या फिर शास्त्रीय संगीत, आशा भोसले ने हर जगह अपनी आवाज की अमिट छाप छोड़ी।
आपको बता दे की आशा जी ने अपने करियर के दौरान कई मशहूर संगीतकारों के साथ काम किया, जिनमें ओपी नैयर, आरडी बर्मन, खय्याम और बप्पी लहरी जैसे बड़े नाम शामिल हैं। उनके गाए हुए गानों में ‘पिया तू अब तो आ जा’, ‘दम मारो दम’, ‘चुरा लिया है तुमने’, और ‘ये मेरा दिल’ जैसे गाने आज भी सदाबहार हैं।
उनका निजी जीवन भी संघर्षों से भरा रहा है। 16 साल की उम्र में उन्होंने गणपत राव भोसले से शादी की, लेकिन यह शादी सफल नहीं रही। शादी टूटने के बाद, आशा जी ने अपने बच्चों के साथ अपने करियर पर ध्यान दिया। बाद में उन्होंने मशहूर संगीतकार आरडी बर्मन से शादी की। दोनों की जोड़ी ने कई हिट गाने दिए।
आशा भोसले ने न सिर्फ हिंदी बल्कि मराठी, बंगाली, तमिल, मलयालम और अंग्रेजी समेत 22 भाषाओं में 11,000 से अधिक गाने गाए हैं। उनकी इस उपलब्धि ने उन्हें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में जगह दिलाई है। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से भी नवाजा गया है। 2000 में उन्हें भारतीय सिनेमा का सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार मिला, और 2008 में उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
गौरतलब है की आशा भोसले को गाने के साथ-साथ खाना बनाने का भी बहुत शौक है। उन्होंने इस शौक को बिजनेस में बदला और ‘आशा’ नाम से कई रेस्टोरेंट खोले, जो दुबई, अबू धाबी, कुवैत और ब्रिटेन जैसे देशों में चल रहे हैं। इन रेस्टोरेंट्स में आशा जी के गानों के साथ स्वादिष्ट भोजन परोसा जाता है।
आशा जी ने अपनी आवाज से कई पीढ़ियों को प्रभावित किया है। उन्होंने नई पीढ़ी के संगीतकारों के साथ भी काम किया और पॉप और रिमिक्स गानों में भी अपनी छाप छोड़ी। आशा भोसले का संगीत सफर और उनकी जिंदादिली हमें प्रेरित करती है। वह आज भी संगीत प्रेमियों के दिलों पर राज कर रही हैं।