Sach – The Reality

Northeast India's First Multilingual Foremost Media Network

Northeast India's First Multilingual Foremost Media Network

असम में इस समय बाढ़ ने तबाही मचाई हुई है। दूर-दूर तक, जहां तक नजर जाए बस पानी ही पानी है। यहां ये फर्क करना मुश्किल है कि नदी का दूसरा किनारा कहां है और गांव की सरहद किधर है। सड़क, रास्ते, पगडंडियां सब सैलाब में डूब चुकी हैं। असम के बराकघाटी में मॉनसून आफत बनकर बरस रहा है। तेज बारिश के चलते बराकघाटी की सभी नदियां उफान पर हैं। बराक नदी का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। शहरी इलाकों में भी बारिश की वजह से जलजमाव की परेशानी बढ़ रही है।

प्रशासन की लापरवाही और बुनियादी ढांचे की कमी ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। यह दुखद है कि सरकार और प्रशासन की तैयारियों की कमी ने इतनी बड़ी त्रासदी को न्योता दिया है। गुवाहाटी शहर के ज्योतिनगर में शुक्रवार को बाढ़ के बीच सीवर में गिरने से एक बच्चे की मौत हो गई है। मृतक की पहचान नरसिंहपुर के 8 वर्षीय अविनाश के रूप में हुई है। इस घटना ने शहर की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं और प्रशासन की लापरवाही उजागर कर दी है।

तीन दिन पहले नाले में गिरे अविनाष के शव को रविवार की सुबह बरामद किया गया। इसके बाद सर्च ऑपरेशन को बंद कर दिया गया। मृतक बच्चे के माता-पिता ने गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में शव की पहचान की । गुरुवार शाम को भारी बारिश में अपने पिता के साथ स्कूटर पर जाते समय आठ वर्षीय अविनाश गिर गया था। हीरालाल ने अपने बेटे को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह पानी के तेज बहाव में बह गया।

वहीं इस घटना पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दुख जताते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म X पर एक पोस्ट किया। इससे पहले शनिवार को सीएम हिमंता ने घटनास्थल का दौरा किया था और हीरालाल और उनकी पत्नी को सांत्वना दिया था।

स्मार्ट सिटी के नाम पर गुवाहाटी मौत की घाटी बन चुका है। गुवाहाटी में खुले सीवर जानलेवा बन चुके हैं, जिससे लोग भयभीत हैं और स्मार्ट सिटी के दावों की पोल खुल गई है। प्रशासन की उदासीनता और लापरवाही के कारण आम जनता की जिंदगी खतरे में पड़ गई है। यह स्थिति स्पष्ट रूप से प्रशासन की विफलता को दर्शाती है। बुनियादी सुविधाओं की कमी और सरकारी उदासीनता ने आम जनता की जिंदगी को खतरे में डाल दिया है। बाढ़ और भारी बारिश के चलते पूरे क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है, और सरकार की लापरवाही इस संकट को और गहरा कर रही है।

सत्ता का परिवर्तन हुआ, लेकिन गुवाहाटी वासियों की समस्या जस की तस है। कांग्रेस को हटाकर लोगों ने भाजपा को परिवर्तन के नाम पर वोट दिया और लगातार दो बार प्रदेश की कमान भाजपा गठबंधन को सौंपा। परंतु लोगों ने जिस उम्मीद से कांग्रेस की सरकार को हटाकर भाजपा को सत्ता में लायी थी, वह आज तक पूरा नहीं हुआ है। राज्य में भाजपा के शासन के 8 साल हो चुके हैं। पहले पांच साल सर्वानंद सोनोवाल के और पिछले तीन साल से डॉ हिमंत विश्व शर्मा प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, परंतु इन 8 सालों में गुवाहाटीवासियों की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ।

सरकार किसी के मरने पर उसके परिजनों को मुआवजा राशि जरूर देती हैं, पर क्या यह मुआवजा किसी की जान से बढ़कर है? बाढ़ आने के बाद सरकार रात दिन एक करके बाढ़ पीड़ितों से मिलने जाती हैं, जगह-जगह का जायजा लेती हैं। पर सवाल यह है कि यही सरकार शुरुआत में ही बाढ़ से निपटने के लिए तैयारी क्यों नहीं करती? क्यों इस तरह से सीवरों को खुला छोड़ दिया जाता है जो लोगों के लिए काल बन जाती हैं?

यह स्थिति स्पष्ट रूप से प्रशासन की विफलता को दर्शाती है, और हमें यह सोचना होगा कि कब तक हम इसी तरह प्रशासन की लापरवाही की कीमत चुकाते रहेंगे।

Wordpress Social Share Plugin powered by Ultimatelysocial