असम की राजनीति में बड़ा मोड़ आने वाला है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के खिलाफ कांग्रेस ने गौरव गोगोई को उतारने की रणनीति बना ली है। सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस इस चुनाव को हिमंत बनाम गौरव बनाने की तैयारी कर रही है।
गौरव गोगोई क्यों?
गौरव गोगोई तीन बार के मुख्यमंत्री रहे तरुण गोगोई के बेटे हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि तरुण गोगोई की विरासत के नाम पर सहानुभूति कार्ड खेला जा सकता है। हिमंत बिस्वा सरमा कभी तरुण गोगोई के विश्वासपात्र थे, लेकिन बाद में उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया और कांग्रेस के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी बन गए। कांग्रेस अब इसी कहानी को एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की योजना बना रही है।
स्थानीय मुद्दों पर फोकस
इस बार कांग्रेस राष्ट्रीय मुद्दों से ज्यादा असम के स्थानीय मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने जा रही है। सूत्रों के अनुसार, पार्टी मुख्य रूप से बेरोजगारी, बाढ़ राहत, चाय बागान मजदूरों की स्थिति और महंगाई जैसे मुद्दों को जोरदार तरीके से उठाएगी। कांग्रेस की रणनीति बीजेपी सरकार की नीतियों को गरीब-विरोधी बताने की होगी।
सोशल मीडिया पर बड़ा खेल
सूत्रों का कहना है कि हिमंत बिस्वा सरमा ने असम के पारंपरिक मीडिया पर मजबूत पकड़ बना ली है, इसलिए कांग्रेस अब सोशल मीडिया पर बड़ा दांव खेलने जा रही है।
- फेसबुक और ट्विटर पर बीजेपी सरकार की नाकामियों को उजागर किया जाएगा।
- यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर कांग्रेस की छवि को मजबूत करने के लिए खास कैंपेन शुरू होंगे।
- युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए इन्फ्लूएंसर मार्केटिंग का सहारा लिया जाएगा।
बीजेपी की प्रतिक्रिया
बीजेपी के सूत्रों का मानना है कि कांग्रेस की यह रणनीति ज्यादा कारगर नहीं होगी। पार्टी का दावा है कि हिमंत बिस्वा सरमा की लोकप्रियता अभी भी चरम पर है और लोग उनके विकास कार्यों को पसंद कर रहे हैं।
क्या यह मुकाबला दिलचस्प होगा?
असम की राजनीति में इस बार चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो सकता है। हिमंत बिस्वा सरमा की कड़ी चुनौती को गौरव गोगोई कितनी सफलतापूर्वक संभाल पाएंगे, यह देखना बाकी है। लेकिन एक बात तय है कि कांग्रेस इस बार कोई कसर नहीं छोड़ने वाली।
अब देखना होगा कि क्या गौरव गोगोई हिमंत बिस्वा सरमा की सत्ता को चुनौती दे पाएंगे या नहीं!