पाकिस्तान के सिंध प्रांत में लश्कर-ए-तैयबा के शीर्ष आतंकी अबू सैफुल्लाह खालिद की रविवार को संदिग्ध बंदूकधारियों ने हत्या कर दी। वह 2006 में RSS मुख्यालय पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड था और लश्कर के नेपाल मॉड्यूल का इंचार्ज था। खालिद लश्कर के लिए आतंकियों की भर्ती और फाइनेंसिंग का काम करता था।
सूत्रों के मुताबिक, अबू सैफुल्लाह खालिद अपने घर से निकला था तभी बदनी इलाके में अज्ञात बंदूकधारियों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं। गंभीर रूप से घायल खालिद को अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रारंभिक जांच में कहा जा रहा है कि यह हत्या आपसी रंजिश या आतंकवादी नेटवर्क के अंदरूनी विवाद की वजह से हुई हो सकती है।
सैफुल्लाह की हत्या को भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी नेटवर्क को यह एक बड़ा झटका लगा है। पिछले दो सालों में पाकिस्तान में इसी तरह 16 अन्य आतंकियों की भी हत्या हुई है, जिनकी हत्या के पैटर्न में अज्ञात बंदूकधारियों की भूमिका सामने आई है।
सैफुल्लाह के जनाजे की नमाज सिंध में पढ़ी गई, जिसमें लश्कर के कई आतंकी शामिल हुए। उसकी लाश को पाकिस्तानी झंडे में लपेटा गया, और आतंकी बारी-बारी से नमाज अदा करते नजर आए।
पाकिस्तान में ऑपरेशन सिंदूर के बाद लश्कर के टॉप आतंकियों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, लेकिन इसके बावजूद सैफुल्लाह की सुरक्षा में सेंध लगाई गई। यह घटना पाकिस्तान में आतंकी समूहों के भीतर तनाव और खींचतान की ओर इशारा करती है।
अबू सैफुल्लाह खालिद नेपाल मॉड्यूल के तहत फाइनेंसिंग, भर्ती और लॉजिस्टिक का प्रबंधन करता था। वह आतंकियों को भारत में घुसपैठ कराने और धन जुटाने में मदद कर रहा था। उसकी मौत से लश्कर-ए-तैयबा के संचालन में भारी रुकावट आई है।
यह घटना भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ निरंतर जारी कार्रवाई में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। साथ ही यह पाकिस्तान में आतंकवाद के अंदरूनी विवाद और सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरियों का भी सबूत है।
निष्कर्ष:
अबू सैफुल्लाह खालिद की हत्या लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी नेटवर्क को कमजोर करने की दिशा में एक अहम कदम है। यह भारत के आतंकवाद विरोधी अभियान को सशक्त बनाने में मददगार साबित होगा और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी एक सकारात्मक संकेत माना जा रहा है।